अशरा-ए-मगफिरत के एक-एक पल की कद्र करें
रमजान-उल-मुबारक माह का दस रमजान का पहला अशरा गुजरने के बाद रविवार से मुकद्दस रमजान का दूसरा मगफिरत का अशरा शुरू होगा। इस मुकद्दस महीने को तीन अशरों में बांटा गया है। इसमें पहला अशरा रहमत का, दूसरा...
रमजान-उल-मुबारक माह का दस रमजान का पहला अशरा गुजरने के बाद रविवार से मुकद्दस रमजान का दूसरा मगफिरत का अशरा शुरू होगा। इस मुकद्दस महीने को तीन अशरों में बांटा गया है। इसमें पहला अशरा रहमत का, दूसरा अशरा मगफिरत का और तीसरा जहन्नुम से आजादी का होता है। जिन लोगों की इबादत में पहले अशरे में कोई कमी रह गई है, वह अब दूसरे अशरे में सुधार लें। रोजेदार इबादत करें और अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगें।
रमजान में अल्लाह अपने नेक बंदों की हर जरूरत को पूरा करते हैं। पहले अशरे में अल्लाह की रहमतें नेक बंदों पर बरसीं। दूसरा अशरा मगफिरत का और तीसरा अशरा जहन्नुम की आग से आजादी का होता है। दूसरे अशरे में अल्लाह अपने बंदों की हर मुश्किल को दूर करते हैं। अशरा-ए-मगफिरत के एक-एक पल की कद्र करें। अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगे। रमजान का महीना कुरान-ए-पाक की दोस्ती का महीना भी कहा जाता है। इसलिए इस महीने में ज्यादा से ज्यादा कलाम पाक की तिलावत करने की हिदायत है। कलाम पाक को अमल का हिस्सा बनाया जाना चाहिए।