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छठ पर सूर्य से विनती: चूक हो जाए तो माफ करना

मंगलवार की शाम अस्ताचलगामी सूर्य को पश्चिम की ओर रुख कर व्रती अर्घ्य देंगे तो बुधवार की सुबह पूरब दिशा में उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करेंगे। आस्था है, पश्चिम और पूरब दोनों दिशाएं अधिक कल्याणकारी...

छठ पर सूर्य से विनती: चूक हो जाए तो माफ करना
पटना, लाइव हिन्दुस्तानTue, 13 Nov 2018 12:07 AM
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मंगलवार की शाम अस्ताचलगामी सूर्य को पश्चिम की ओर रुख कर व्रती अर्घ्य देंगे तो बुधवार की सुबह पूरब दिशा में उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करेंगे। आस्था है, पश्चिम और पूरब दोनों दिशाएं अधिक कल्याणकारी हैं। उत्तर और दक्षिण दोनों बाजू हैं। व्रती जब अर्घ्य अर्पित करते हैं तो सगे-संबंधी और घर-परिवार के लोग शरीर के बाजुओं की तरह उनके अगल-बगल खड़े होते हैं। यह इस पर्व का पारंपरिक अनुशासन और विज्ञान है। यह अनुशासित दृश्य घाटों पर दिखेगा। 

व्रती मांगेंगी घर-परिवार की सलामती
सोमवार को छठ के खरना का अनुष्ठान पूरा होने के बाद मंगलवार को नदी घाटों पर उमड़ेगा आस्था का सैलाब। राजधानी पटना से लेकर राज्य के विभिन्न भागों में नदियों के किनारे और अन्य जलाशयों के पास रागमयी श्रद्धा और भक्ति के साथ दिखेगी बिहार की दो तिहाई से भी अधिक आबादी। महिलाओं की जुबान पर छठ के भाव विह्वल कर देनेवाले पारंपरिक गीत तो पुरुषों के सिर पर बांस की नई टोकरी में पूजन सामग्री। 

अर्घ्य के समय व्रतियों की प्रार्थना  
हे सूरजदेव और  हे छठी मइया! अगर कुछ चूक हो गयी हो तो नादान समझ कर क्षमा कर देना। रोगी की काया को कंचन करना और निर्धन को सहारा देना। घर का बच्चा नादान है, उसे ज्ञान देना और उसकी सुरक्षा करना। हे मइया, हम  तुम्हारे सहारे हैं। अर्घ्य के दौरान छठी मइया की जयकार लगती है। प्रात: कालीन अर्घ्य के बाद घाटों से ही प्रसाद वितरण शुरू हो जाएगा। घाट से घर लौटकर व्रती पारन करेंगे और इसी के साथ पर्व का चार दिवसीय अनुष्ठान पूरा हो जाएगा। 

छठ गीतों में स्वास्थ्य और प्रकृति रक्षा का संदेश भी 
छठ गीतों में स्वास्थ्य और प्रकृति की रक्षा का भी संदेश भरा हु़आ है। छठ की पूजन सामग्री में केला , हल्दी, अदरख, मूली आदि औषधीय गुण वाले  फल-सब्जियों की प्रधानता है। ये सभी फल अच्छी सेहत प्रदान करते हैं। अर्ध्य के सूप में पका केला न हो तो पूजन सामग्री अधूरी समझी जाती है। केला स्वास्थ्यवर्धक है और यही कारण है कि उसकी रक्षा से संबंधित भी एक गीत है- केरवा जे फरले घउद में तापर सुग्गा मंडराए, मरबऊ रे सुगवा  धनुख से सुगा गिरे मुरझाए..। केला  छठ का महत्वपूर्ण प्रसाद है। इसे सुग्गा यानी तोता जूठा  करना चाहता है। इसलिए व्रत रखने वाली महिला उसे खबरदार करती हैं कि केले को बर्बाद मत करो।

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