Pradosh vrat July 2021: जुलाई का दूसरा प्रदोष व्रत आज, शिवभक्त यहां पढ़ें संपूर्ण बुध प्रदोष व्रत कथा और व्रत नियम
आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत आज यानी 21 जुलाई, दिन बुधवार को है। बुधवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को बुध प्रदोष व्रत कहा जाता है। इस दिन प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा की जाती है। मान्यता...
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आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत आज यानी 21 जुलाई, दिन बुधवार को है। बुधवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को बुध प्रदोष व्रत कहा जाता है। इस दिन प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा की जाती है। मान्यता है कि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और कष्टों से मुक्ति मिलती है। यूं तो हर माह दो प्रदोष व्रत रखे जाते हैं और पूरे साल में कुल 24 प्रदोष व्रत पड़ते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत के दिन विधि-विधान से पूजा करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होने के साथ शादी-विवाह आदि संबंधित अड़चनें भी दूर होती हैं।
प्रदोष में क्या नहीं करना चाहिए-
प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने के बाद ही भोजन ग्रहण करना चाहिए। प्रदोष व्रत में अन्न, नमक, मिर्च आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। व्रत के समय एक बार ही फलाहार ग्रहण करना चाहिए।
प्रदोष व्रत की पूजा विधि-
1. स्नान आदि के बाद भगवान शिव का अभिषेक करें।
2. पंचामृत का पूजा में इस्तेमाल करना चाहिए।
3. भगवान शिव की धूप व दीपक से आरती करें।
4. महादेव को भोग लगाएं।
5. प्रदोष व्रत का संकल्प लें।
6. प्रदोष व्रत के दिन व्रत व नियमों का पूरे दिन पालन करें।
7. शाम को महादेव की पूजा करने के बाद आरती उतारें।
8. अगले दिन व्रत का पारण करें।
बुध प्रदोष व्रत कथा-
बुध प्रदोष व्रत की कथा के अनुसार, एक पुरुष का नया-नया विवाह हुआ। विवाह के 2 दिनों बाद उसकी पत्नी मायके चली गई। कुछ दिनों के बाद वह पुरुष पत्नी को लेने उसके यहां गया। बुधवार को जब वह पत्नी के साथ लौटने लगा तो ससुराल पक्ष ने उसे रोकने का प्रयत्न किया कि विदाई के लिए बुधवार शुभ नहीं होता। लेकिन वह नहीं माना और पत्नी के साथ चल पड़ा। नगर के बाहर पहुंचने पर पत्नी को प्यास लगी। पुरुष लोटा लेकर पानी की तलाश में चल पड़ा। पत्नी एक पेड़ के नीचे बैठ गई। थोड़ी देर बाद पुरुष पानी लेकर वापस लौटा, तब उसने देखा कि उसकी पत्नी किसी के साथ हंस-हंसकर बातें कर रही है और उसके लोटे से पानी पी रही है। उसको क्रोध आ गया।
वह निकट पहुंचा तो उसके आश्चर्य का कोई ठिकाना न रहा, क्योंकि उस आदमी की सूरत उसी की भांति थी। पत्नी भी सोच में पड़ गई। दोनों पुरुष झगड़ने लगे। भीड़ इकट्ठी हो गई। सिपाही आ गए। हमशक्ल आदमियों को देख वे भी आश्चर्य में पड़ गए। उन्होंने स्त्री से पूछा ‘उसका पति कौन है?’ वह कर्तव्यविमूढ़ हो गई। तब वह पुरुष शंकर भगवान से प्रार्थना करने लगा- ‘हे भगवान! हमारी रक्षा करें। मुझसे बड़ी भूल हुई कि मैंने सास-ससुर की बात नहीं मानी और बुधवार को पत्नी को विदा करा लिया। मैं भविष्य में ऐसा कदापि नहीं करूंगा।’
जैसे ही उसकी प्रार्थना पूरी हुई, दूसरा पुरुष अंतर्ध्यान हो गया। पति-पत्नी सकुशल अपने घर पहुंच गए। उस दिन के बाद से पति-पत्नी नियमपूर्वक बुध त्रयोदशी प्रदोष का व्रत रखने लगे।
प्रदोष व्रत के नियम-
1. प्रदोष व्रत करने के लिए व्रती को त्रयोदशी के दिन सुबह जल्दी उठना चाहिए।
2. नहाकर भगवान शिव का ध्यान करना चाहिए।
3. इस व्रत में भोजन ग्रहण नहीं किया जाता है।
4. गुस्सा या विवाद से बचकर रहना चाहिए।
5. प्रदोष व्रत के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
6. इस दिन सूर्यास्त से एक घंटा पहले नहाकर भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए।
7. प्रदोष व्रत की पूजा में कुशा के आसन का प्रयोग करना चाहिए।