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Pradosh Vrat Aarti List : प्रदोष व्रत के दिन जरूर करें भगवान शंकर और माता पार्वती की ये आरती

कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष में प्रदोष व्रत 16 नवंबर, मंगलवार है। मंगलवार को प्रदोष व्रत पड़ने से इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है। प्रदोष व्रत पर माता पार्वती और भगवान शिव की विधि- विधान से पूजा-...

Pradosh Vrat Aarti List : प्रदोष व्रत के दिन जरूर करें भगवान शंकर और माता पार्वती की ये आरती
लाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीMon, 15 Nov 2021 05:56 PM

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कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष में प्रदोष व्रत 16 नवंबर, मंगलवार है। मंगलवार को प्रदोष व्रत पड़ने से इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है। प्रदोष व्रत पर माता पार्वती और भगवान शिव की विधि- विधान से पूजा- अर्चना की जाती है। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शंकर और माता पार्वती की ये आरती जरूर करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान की आरती करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। आगे पढ़ें माता पार्वती और भगवान शंकर की आरती...

 

माता पार्वती जी की आरती:

जय पार्वती माता जय पार्वती माता
 
ब्रह्म सनातन देवी शुभ फल कदा दाता।
 
जय पार्वती माता जय पार्वती माता।
 
अरिकुल पद्मा विनासनी जय सेवक त्राता
 
जग जीवन जगदम्बा हरिहर गुण गाता।


 
जय पार्वती माता जय पार्वती माता।
 
सिंह को वाहन साजे कुंडल है साथा

 
देव वधु जहं गावत नृत्य कर ताथा।
 
जय पार्वती माता जय पार्वती माता।
 
सतयुग शील सुसुन्दर नाम सती कहलाता
 
हेमांचल घर जन्मी सखियन रंगराता।
 
जय पार्वती माता जय पार्वती माता।
 
शुम्भ निशुम्भ विदारे हेमांचल स्याता
 
सहस भुजा तनु धरिके चक्र लियो हाथा।
 
जय पार्वती माता जय पार्वती माता।
 
सृष्ट‍ि रूप तुही जननी शिव संग रंगराता
 
नंदी भृंगी बीन लाही सारा मदमाता।
 
जय पार्वती माता जय पार्वती माता।
 
देवन अरज करत हम चित को लाता
 
गावत दे दे ताली मन में रंगराता।
 
जय पार्वती माता जय पार्वती माता।
 
श्री प्रताप आरती मैया की जो कोई गाता
 
सदा सुखी रहता सुख संपति पाता।
 
जय पार्वती माता मैया जय पार्वती माता।
 

 शिव शंकर की आरती:

 

जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव...॥
 
एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव...॥
 
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव...॥

अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव...॥
 

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव...॥
 
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव...॥
 
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव...॥
 
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव...॥
 
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव...॥

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