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सकारात्मक सोच ही व्यक्ति को कामयाब बनाती है

एक राजा के पास एक बहुत ही शक्तिशाली हाथी था, जो बहुत आज्ञाकारी, समझदार और युद्ध-कौशल में निपुण था। बहुत से युद्धों में गया था और राजा को विजय दिलाकर ही लौटा था, इसलिए वह महाराज का सबसे प्रिय हाथी था।...

सकारात्मक सोच ही व्यक्ति को कामयाब बनाती है
लाइव हिन्दुस्तान टीम,मेरठ Tue, 07 Aug 2018 01:36 AM
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एक राजा के पास एक बहुत ही शक्तिशाली हाथी था, जो बहुत आज्ञाकारी, समझदार और युद्ध-कौशल में निपुण था। बहुत से युद्धों में गया था और राजा को विजय दिलाकर ही लौटा था, इसलिए वह महाराज का सबसे प्रिय हाथी था। समय गुजरता गया और एक समय ऐसा आया कि हाथी की उम्र हो चली, वह वृद्ध दिखने लगा।

अब वह पहले की तरह कार्य नहीं कर पाता था। इसलिए अब राजा उसे युद्ध क्षेत्र में भी नहीं भेजते थे, हालांकि उसका पूरा ध्यान रखा जाता था। एक दिन वह सरोवर में जल पीने गया लेकिन वहां कीचड़ में उसका पैर धंस गया और फिर धंसता ही चला गया। उस हाथी ने बहुत कोशिश की, लेकिन वह उस कीचड़ से स्वयं को नहीं निकाल पाया।

उसकी चिंघाड़ने की आवाज से लोग मौके पर पहुंच गए लेकिन कुछ कर नहीं पाए। हाथी संकट में है यह समाचार राजा के पास भी पहुंचा। राजा समेत सभी लोग हाथी के आसपास इक्कठा हो गए और उसे निकालने के लिए विभिन्न प्रकार के शारीरिक प्रयत्न कर करने लगे। बहुत देर तक प्रयास करने के बावजूद हाथी नहीं निकल पाया।

राजा के एक वरिष्ठ मंत्री ने बताया कि गौतम बुद्ध मार्गभ्रमण कर रहे हैं तो क्यो न उनसे ही सलाह ली जाए। राजा और सारा मंत्रीमंडल बुद्ध के पास गए और अनुरोध किया कि आप हमें इस विकट परिस्थिति मे मार्गदर्शित करे। बुद्ध ने उनके अनुरोध को स्वीकार किया और घटनास्थल का निरीक्षण किया। उन्होंने  राजा को सुझाव दिया कि सरोवर के चारों और युद्ध के नगाड़े बजाए जाएं।

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लोगों को बड़ा विचित्र लगा कि भला नगाड़े बजाने से वह फंसा हुआ हाथी बाहर कैसे निकलेगा, जो अनेक व्यक्तियों के शारीरिक प्रयत्न से बाहर निकल नहीं पाया। जैसे ही युद्ध के नगाड़े बजने प्रारंभ हुए, वैसे ही उस मृतप्राय हाथी के हाव-भाव में परिवर्तन आने लगा। पहले तो वह धीरे-धीरे करके खड़ा हुआ और फिर सबको हतप्रभ करते हुए स्वयं ही कीचड़ से बाहर निकल आया। अब गौतम बुद्ध ने सबको स्पष्ट किया कि हाथी की शारीरिक क्षमता में कमी नहीं थी, आवश्यकता मात्र उसके अंदर उत्साह के संचार करने की थी।

शिक्षा : इस कहानी से यह स्पष्ट होता है कि यदि हमारे मन में एक बार उत्साह–उमंग जाग जाए तो फिर हमें कार्य करने की ऊर्जा स्वतः ही मिलने लगती है। इसके बाद हम मुश्किल से मुश्किल कार्य आसानी से कर जाते हैं। साथ ही कार्य के प्रति उत्साह का मनुष्य की उम्र से कोई संबंध नहीं रह जाता।

 जीवन में उत्साह बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि मनुष्य सकारात्मक चिंतन बनाए रखे और निराशा को हावी न होने दे। कभी–कभी निरंतर मिलने वाली असफलताओं से व्यक्ति यह मान लेता है कि अब वह पहले की तरह कार्य नहीं कर सकता, लेकिन यह पूर्ण सच नहीं है।

 

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