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Phulera Dooj 2021: फुलेरा दूज की नोट कर लें सही तारीख, जानें इस दिन क्यों होती हैं बिना मुहूर्त रिकॉर्ड तोड़ शादी

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल फुलेरा दूज फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन को फाल्गुन मास में सबसे शुभ व उत्तम माना जाता है। फुलेरा दूज के दिन मांगलिक कार्यों को...

Phulera Dooj 2021: फुलेरा दूज की नोट कर लें सही तारीख, जानें इस दिन क्यों होती हैं बिना मुहूर्त रिकॉर्ड तोड़ शादी
लाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीSun, 07 Mar 2021 11:30 AM
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हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल फुलेरा दूज फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन को फाल्गुन मास में सबसे शुभ व उत्तम माना जाता है। फुलेरा दूज के दिन मांगलिक कार्यों को करना शुभ होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, फुलेरा दूज के दिन भगवान श्रीकृष्ण पवित्र होली के त्योहार में भाग लेते हैं और रंगों की जगह फूलों की होली खेलते हैं। इस साल फुलेरा दूज 15 मार्च 2021 (सोमवार) को है।

फुलेरा दूज का शुभ मुहूर्त-

द्वितीया तिथि प्रारंभ- 17:10- 14 मार्च 2021
द्वितीया तिथि समाप्त- 18:50- 15 मार्च 2021

फुलेदा दूज का महत्व-

हिंदू धर्म में लोग किसी भी शुभ कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश आदि के लिए शुभ मुहूर्त का विचार करते हैं। लेकिन धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, फूलेरा दूज के दिन अबूझ मुहूर्त होता है।  इस त्योहार को सबसे महत्वपूर्ण और शुभ दिनों में से एक माना जाता है। इस दिन किसी भी तरह के हानिकारक प्रभावों और दोषों से प्रभावित नहीं होता है और इसे अबूझ मुहूर्त माना जाता है। शुभ मुहूर्त पर विचार करने या किसी विशेष शुभ मुहूर्त को जानने के लिए पंडित से परामर्श करने की आवश्यकता नहीं है।

फुलेरा दूज के दिन रिकॉर्ड तोड़ शादियां-

सर्दी के मौसम के बाद इसे शादियों के सीजन का अंतिम दिन माना जाता है। इसलिए इस दिन रिकॉर्ड तोड़ शादियां होती हैं। इसका अर्थ है कि विवाह, संपत्ति की खरीद इत्यादि सभी प्रकार के शुभ कार्यों को करने के लिए दिन अत्यधिक पवित्र है।

कैसे मनाते हैं फुलेरा दूज-

इस दिन सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान जो किया जाता है वह भगवान कृष्ण के साथ रंग-बिरंगे फूलों से होली खेलने का होता है। ब्रज क्षेत्र में, इस विशेष दिन पर, देवता के सम्मान में भव्य उत्सव होते हैं। मंदिरों को फूलों और रोशनी से सजाया जाता है और भगवान कृष्ण की मूर्ति को एक सजाये गए और रंगीन मंडप में रखा जाता है। रंगीन कपड़े का एक छोटा टुकड़ा भगवान कृष्ण की मूर्ति की कमर पर लगाया जाता है, जिसका प्रतीक है कि वह होली खेलने के लिए तैयार हैं।

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