गोपालगंज के शक्तिपीठ थावे में महासप्तमी पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
चैत्र नवरात्र के सातवें दिन शनिवार को ऐतिहासिक थावे दुर्गा मंदिर परिसर में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। मां की पूजा व दर्शन के लिए अहले सुबह से ही श्रद्धालु जुटने लगे। सभी मंदिर परिसर में कतार में...
चैत्र नवरात्र के सातवें दिन शनिवार को ऐतिहासिक थावे दुर्गा मंदिर परिसर में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। मां की पूजा व दर्शन के लिए अहले सुबह से ही श्रद्धालु जुटने लगे। सभी मंदिर परिसर में कतार में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार करते दिखे। सातवें दिन मां के कालरात्रि स्वरूप की पूजा अर्चना भक्ति व श्रद्धा के साथ की गई। दो पहर तक करीब पचास हजार श्रद्धालुओं ने मां की पूजा की। समीपवर्ती सीवान, सारण, चंपारण व यूपी के अलावा दूसरे जिलों से भी मां के भक्त थावे पहुंचे। उधर, बरौली नकटो भवानी मंदिर में भी दिनभर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। मंदिर के पुजारी गोल्डेन पांडेय ने बताया कि मां के दर्शन के लिए नेपाल, बंगाल, यूपी, झारखंड व अन्य प्रदेशों से भी श्रद्धालु आते हैं। सच्चे मन से आराधना पर मां अपने भक्तों की मुरादें पूरी करती हैं।
कई नामों से जानी जाती है मां थावे वाली
माता थावेवाली को सिंहासिनी भवानी, थावे भवानी और रहषु भवानी के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि देवी दुर्गा कामाख्या से चलकर कोलकाता और पटना के रास्ते यहां पहुंची थी। इस मंदिर के पीछे एक कथा प्रचलित है। कहा जाता है कि हथुआ के राजा मनन सिंह स्वयं को मां दुर्गा का सबसे बड़ा भक्त मानते थे। वे अपने सामने किसी को भी मां का भक्त मानने से इंकार करते थे। एक बार उनके राज्य में अकाल पड़ गया और लोग दाने-दाने के लिए तरसने लगे। उन दिनों थावे में रहषु नामक देवी कामाख्या का एक भक्त रहता था। कहा जाता है कि रहषु दिन में घास काटता था और रात को उस घास में से अन्न निकल जाता था। जिससे वहां के लोगों को अन्न मिलने लगा। लेकिन राजा इस बात पर विश्वास नहीं करता था। एक बार राजा ने रहषु को ढोंगी बताकर मां को बुलाने के लिए कहा। रहषु ने राजा से कहा कि यदि माता यहां आएगी तो ये राज्य बर्बाद हो जाएगा। लेकिन राजा अपने हठ पर अड़ा रहा। विवश होकर रहषु ने प्रार्थना कर मां से वहां आकर दर्शन देने के लिए स्तुति की। भक्त के बुलावे पर देवी कोलकाता, पटना और आमी होते हुए थावे पहुंची। माता के वहां पहुंचते ही सारे भवन गिर गए और राजा की मृत्यु हो गई। जहां पर माता ने दर्शन दिए वहां पर आज एक भव्य मंदिर है। जिसे माता थावेवाली के नाम से प्रसद्धि है। वहां से थोड़ी दूरी पर रहषु का मंदिर भी है। माना जाता है कि जो भक्त माता थाने वाली के दर्शन के लिए आते हैं वे रहषु के भी दर्शन अवश्य करते हैं। इसके बिना भक्तों की पूजा अधूरी मानी जाती है। इस मंदिर के नजदीक राजा मनन सिंह के भवनों के खंडहर आज भी मौजूद है।
भक्त चढ़ाते हैं नारियल,पेड़ा व चुनरी
यहां मां के भक्त प्रसाद के रूप में नारियल, पेड़ा और चुनरी चढ़ाते हैं। मां के मंदिर का गर्भगृह काफी पुराना है। नवरात्र के सप्तमी की रात को मां दुर्गा की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन मंदिर में भक्त बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। बिहार, उत्तर प्रदेश के अलावा यहां नेपाल के श्रद्धालु भी बड़ी संख्या में मां के दर्शन के लिए आते है।
महानिशा पूजा के बाद शुरू होगा हवन
प्रसद्धि थावे दुर्गा मंदिर में रविवार की देर रात महानिशापूजा के बाद हवन शुरू हो जाएगा। मंदिर में महानिशा पूजा की तैयारी पूरी कर ली गई है। मुख्य पुजारी ने बताया कि हथुआ की महारानी पूनम साही महानिशा पूजा पर माता का खोइखा भरेंगी। साथ में महाराज मृगेन्द्र प्रताप साही भी रहेंगे। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ेगी। इधर,जिला प्रशासन ने थावे में सुरक्षा तगड़ी कर दी है।