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आत्मा को शुद्ध करता है यह महापर्व

भाद्रपद मास में जैन धर्मावलंबियों द्वारा पर्वाधिराज पर्युषण पर्व मनाया जाता है। श्वेताम्बर संप्रदाय को मानने वाले पर्युषण पर्व को भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी से भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पंचमी...

आत्मा को शुद्ध करता है यह महापर्व
लाइव हिन्दुस्तान टीम,meerutMon, 24 Aug 2020 02:46 AM
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भाद्रपद मास में जैन धर्मावलंबियों द्वारा पर्वाधिराज पर्युषण पर्व मनाया जाता है। श्वेताम्बर संप्रदाय को मानने वाले पर्युषण पर्व को भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी से भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पंचमी तक मनाते हैं, जबकि दिगंबर संप्रदाय के लोग इस महापर्व को भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी से चतुर्दशी तक मनाते हैं। पर्युषण पर्व सभी पर्वों का राजा है। इसे आत्मशोधन का पर्व भी कहा गया है।

इस त्योहार को आध्यात्मिक दीवाली की संज्ञा दी गई है। इस पर्व पर लोग अपने वर्षभर के पुण्य पाप का पूरा हिसाब करते हैं। यह पर्व हमारी सोई हुई आत्मा को जागृत करता है। इस पर्व को पर्वाधिराज भी कहते हैं। यह पर्व हमें क्षमा मांगने और क्षमा करने की सीख देता है। इस त्योहार के दौरान जैन धर्म के पांच सिद्धांत अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह व्रत का पालन किया जाता है। यह पर्व हमें सिखाता है कि धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष आदि की प्राप्ति में ज्ञान व भक्ति के साथ सद्भावना का होना अनिवार्य है। दिगम्बर मत के अनुयायी 10 दिनों तक विभिन्न व्रतों का पालन करते हैं इसलिए इसे दशलक्षणा पर्व कहा जाता है। वहीं, श्वेताम्बर समुदाय के लोग इस पर्व को आठ दिनों तक मनाते हैं, इसलिए पर्युषण पर्व को आष्टाहिक के रूप में मनाते हैं। यह पर्व अहिंसा के व्रत पर चलने की राह दिखाता है। यह पर्व हमें प्रकृति से जुड़ने की सीख भी देता है।

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