पर्युषण 2019: आत्मसाधना का पर्व है पर्युषण महापर्व
जैन धर्म में श्वेतांबर और दिगंबर समाज भाद्रपद महीने में पर्युषण पर्व मनाया जाता है। जैन धर्म में के कुछ महत्वपूर्ण धार्मिक त्योहार में पर्युषण को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। दस दिनों तक लगातार...
जैन धर्म में श्वेतांबर और दिगंबर समाज भाद्रपद महीने में पर्युषण पर्व मनाया जाता है। जैन धर्म में के कुछ महत्वपूर्ण धार्मिक त्योहार में पर्युषण को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। दस दिनों तक लगातार चलने के कारण इसे दशलक्षण पर्व कहा जाता है। उत्तम क्षमा, उत्तम मार्दव, उत्तम आर्जव, उत्तम शौच, उत्तम सत्य, उत्तम संयम, उत्तम तप, उत्तम त्याग, उत्तम अकिंचन्य, उत्तम ब्रह्मचर्य के माध्यम से जैन धर्म के अनुयायी आत्मसाधना करते हैं। या यूं कहें यह मन पर पड़ी विचारों की धूल साफ करने का पर्व है।
इस त्योहार को मनाने के रूप में लोग अगले 8-10 दिन तक ईश्वर के नाम पर उपवास करेंगे और पूजा अर्चना करेंगे। श्वेतांबर समाज 8 दिन तक पर्युषण पर्व मनाते हैं जिसे ‘अष्टान्हिका’ कहते हैं जबकि दिगंबर 10 दिन तक मनाते हैं जिसे वे ‘दसलक्षण’ कहते हैं। इस त्योहार की प्रमुख बातें जैन धर्म के 5 सिद्धांतों पर निहित हैं। ये सिद्धांत इस प्रकार हैं- अहिंसा (किसी को कष्ट न पहुंचाना), सत्य, अस्तेय (चोरी न करना), ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह (जरूरत से ज्यादा धन संचय न करना)।