रत्न शास्त्र के जानकारों के मुताबिक कोई भी रत्न पहनने से पहले उसके बारे में ज्योतिष से पूछ लेना चाहिए, क्योंकि कई बार रत्न पहनने से फायदे के बजाय नुकसान होने लगता है। ऐसे ही अगर आप दोषयुक्त गोमेद पहन लेते हैं तो आपके लिए हानिकारक हो सकता है।
राहु का रत्न माना जाने वाला गोमेद का स्वामी राहु ग्रह है। विभिन्न भाषाओं में इस रत्न के भिन्न-भिन्न नाम है। संस्कृत में इसे गोमेदक, पिग स्फटिक, राहु-रत्न को हिंदी में गोमेद, फारसी में जरकूनिया और अंग्रेजी में जिरकॉन कहते हैं। इसका रंग पीला या गोमूत्र के समान होता है।
गोमेद के गुण : शुद्ध और श्रेष्ठ गोमेद चमकदार, सुंदर, चिकना, अच्छे घाट का तथा उज्ज्वल होता है। देखने में यह उल्लू की आंख की तरह लगता है। इतना ही नहीं यदि शुद्ध गोमेद को लकड़ी के बुरादे में घिसा जाए तो उसकी चमक बढ़ जाती है, जबकि नकली गोमेद की चमक नष्ट हो जाती है। इतना ही नहीं दोषयुक्त गोमेद निष्प्रभावी नहीं होता, बल्कि धारक के लिए हानिप्रद सिद्ध होता है। गोमेद पहनने से गर्मी, ज्वर, प्लीहा, तिल्ली आदि के रोग दूर होते हैं। मिर्गी, वायु प्रकोप एवं बवासीर आदि रोगों में इसका भस्म दूध के साथ लेने पर शीघ्र लाभ होता है।
’ जिसमें चमक न हो, यह खासकर औरतों के लिए अहितकर और रोगवद्र्धक होता है।
’ जिसका रंग लाल हो, यह विभिन्न रोगों को उत्पन्न करता है।
’ जो रूक्ष अथवा सूखा हो, समाज में मान-सम्मान कम होता है।
’ जिसमें एक साथ कई रंग हों, यह धन नाशक होता है।
’ जिसमें गड्ढा हो, इससे धन और मान-प्रतिष्ठा का नाश होता है।
’ जिसमें किसी अन्य रंग का धब्बा हो, यह पशुधन नाशक होता है।
’ जिसमें लाल जैसा हो, यह हर प्रकार के सुखों का नाश
करता है।
(इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य व सटीक हैं तथा इन्हें अपनाने से अपेक्षित परिणाम मिलेगा। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।)