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उमंग, उल्लास के इस त्योहार में प्रजा करती है अपने राजा का धूमधाम से स्वागत 

उल्लास, उमंग और परंपराओं से भरा हुआ त्योहार ओणम दक्षिण भारत विशेषकर केरल में धूमधाम से मनाया जाता है। 10 दिनों तक चलने वाले इस त्योहार को लेकर मान्यता है कि इस पर्व पर राजा महाबली अपनी प्रजा से मिलने

उमंग, उल्लास के इस त्योहार में प्रजा करती है अपने राजा का धूमधाम से स्वागत 
Arpanलाइव हिन्दुस्तान टीम,meerutFri, 09 Sep 2022 02:56 PM

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उल्लास, उमंग और परंपराओं से भरा हुआ त्योहार ओणम दक्षिण भारत विशेषकर केरल में धूमधाम से मनाया जाता है। 10 दिनों तक चलने वाले इस त्योहार को लेकर मान्यता है कि इस पर्व पर राजा महाबली अपनी प्रजा से मिलने आते हैं। किसान नई फसल की बेहतर उपज के लिए यह त्योहार मनाते हैं। इस त्योहार पर केरल में नौका दौड़ और कथकली नृत्य का आयोजन होता है। 

इस त्योहार के प्रथम दिन को अथम और दसवें दिन को थीरुओणम कहा जाता है। अपने राजा के आगमन के स्वागत में लोग अपने घरों की सजावट करते हैं। ओणम से दस दिन पहले बच्चे प्रतिदिन बाग़ों में फूल चुनने जाते हैं और फूलों की गठिरयां अपने घर लाते हैं। घर का एक कमरा फूल घर बनाया जाता है। घर के आंगन में चौक तैयार किया जाता है और उसके चारों तरफ़ फूल सजाए जाते हैं। आम के पत्तों को घर के द्वार पर लगाया जाता है। घर को चंदन और सिन्दूर से सजाया जाता है। आंगन में रंग-बिरंगी रंगोली बनाई जाती हैं। घर का मुखिया परिवार के सदस्यों में नववस्त्र बांटता है। त्योहार के नौवें दिन हर घर में भगवान श्री हरि विष्णु की मूर्ति बनाई जाती है। रात को श्रीगणेशजी और श्रावण देवता की मूर्ति बनाई जाती है। बच्चे वामन अवतार के पूजन के गीत गाते हैं। मूर्तियों के सामने मंगलदीप जलाए जाते हैं। पूजा-अर्चना के बाद मूर्ति विसर्जन किया जाता है। इस त्योहार की कथा के अनुसार राजा बलि भगवान श्री हरि विष्णु के भक्त थे। वह महान दानी थे। उन्होंने स्वर्ग पर अधिकार करने के लिए विशाल यज्ञ का आयोजन किया। देवताओं को जब इसका पता चला तो वह श्री हरि विष्णु के पास गए। भगवान श्री हरि विष्णु वामन रूप में राजा बलि के पास गए और उनसे तीन पग भूमि दान में मांगी। दो पग में भगवान ने समस्त लोक को नाप दिया। तीसरे पग के लिये कुछ नहीं बचा तो राजा बलि ने अपना शीष भगवान के पग के नीचे रख दिया। भगवान श्री हरि की कृपा से राजा बलि पाताल लोक में रहने लगे और मान्यता है कि राजा बलि हर साल ओणम के समय पाताल लोक से पृथ्वी पर अपनी प्रजा से मिलने आते हैं। 

इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।  

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