इस दिन अमृत बन जाता है गंगा मैया का जल
माघ मास में अमावस्या को मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस अमावस्या का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन गंगा मैया का जल अमृत बन जाता है। माना जाता है कि इस दिन मनु ऋषि का जन्म हुआ...
माघ मास में अमावस्या को मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस अमावस्या का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन गंगा मैया का जल अमृत बन जाता है। माना जाता है कि इस दिन मनु ऋषि का जन्म हुआ था।
इस अमावस्या पर मौन रहकर संतों की भांति आचरण करना चाहिए। यदि मौन रहना संभव न हो तो किसी के प्रति कटु वचन न कहें। मौनी अमावस्या का दिन पृथ्वी पर देवों और पितरों के संगम के रूप में मनाया जाता है। इस दिन पितरों का तर्पण करने से उन्हें शांति मिलती है। इस तिथि पर भगवान विष्णु और भगवान शिव दोनों की पूजा का विधान है। इस दिन भगवान विष्णु के मंदिर में झंडा लगाएं। भगवान शनि पर तेल अर्पित करें। काला तिल, काली उड़द, काला कपड़ा दान करें। शिवलिंग पर काला तिल, दूध और जल अर्पित करें। हनुमान चालीसा का पाठ करें।
इस दिन स्नान-दान का विशेष महत्व है। इस दिन सूर्यनारायण को अर्घ्य देने से दरिद्रता दूर होती है। मौनी अमावस्या का संदेश है कि मौन व्रत धारण कर मन को संयमित किया जाए। मन ही मन ईश्वर का स्मरण करें। समुद्र मंथन में प्रयाग, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में अमृत की बूंदें गिरी थीं, यहां मौनी अमावस्या के दिन जप-तप, स्नान का विशेष महत्व है।
इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।