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शनिश्चरी अमावस्या पर 20 साल बाद बना खास संयोग, पितरों को प्रसन्न करने के लिए करें ये उपाय

Shanichari Amavasya Shradh:हिंदू धर्म में श्राद्ध के दौरान पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष प्राप्ति के लिए उनके नाम से तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान और ब्राह्मणों को भोजन करवाया जाता है। इस बार श्राद्ध...

शनिश्चरी अमावस्या पर 20 साल बाद बना खास संयोग, पितरों को प्रसन्न करने के लिए करें ये उपाय
लाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीSat, 28 Sep 2019 09:21 AM
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Shanichari Amavasya Shradh:हिंदू धर्म में श्राद्ध के दौरान पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष प्राप्ति के लिए उनके नाम से तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान और ब्राह्मणों को भोजन करवाया जाता है। इस बार श्राद्ध यानी पितृ पक्ष 28 सितंबर, शनिवार के दिन समाप्त हो रहे हैं। 20 साल बाद आज के दिन सर्वपितृ अमावस्या और शनि अमावस्या मिलकर एक खास संयोग बना रहे हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस तरह के संयोग में पितरों की विदाई करने से उनके वंशजों को सौभाग्यकी प्राप्ति होती है। ऐसे में आइए जानते हैं पितरों के तर्पण के लिए आज रहने वाला है पूजा का शुभ मुहूर्त और कौन से उपाय करने से पितर प्रसन्न होते हैं।  

सर्वपितृ अमावस्या का महत्व-
सर्वपितृ अमावस्या पर उन लोगों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु की तिथि उनके परिवार के लोगों को याद नहीं होती है। इसके अलावा वो पितर जिनके बारे में व्यक्ति को पता नहीं होता उनके निमित्त आज कर्मकांड किया जाता है। माना जाता है कि पितृ विसर्जनी अमावस्या पर 16 दिनों से धरती पर विराजमान पितृ यमलोक के लिए प्रस्थान करते हैं।

पितृ मोक्ष अमावस्या श्राद्ध तिथि और मुहूर्त-
-अमावस्या श्राद्ध 28 सितम्बर 2019, दिन शनिवार को
-कुतुप मूहूर्त : सुबह 11:25 बजे से दोपहर 12:12 बजे तक
-रौहिण मूहूर्त : दोपहर 12:12 बजे से 01:00 बजे तक
-अपराह्न काल : दोपहर 01:00 बजे से 03:22 बजे तक
-अमावस्या तिथि प्रारम्भ 28 सितम्बर, 2019 को तड़के 03:46 बजे से
-अमावस्या तिथि समाप्त रात 11:56 बजे तक

पितृमोक्ष और पितरों को प्रसन्न करने के उपाय-
-आज के दिन पितृमोक्ष के लिए दक्षिण दिशा में 2,5,11 और 16 दीपक जलाएं।
-आज के दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए सुबह पीपल के पेड़ के नीचे अपने पितरों के निमित मिठाई, जल और धूप -दीप जलाकर रखें।
-इस दिन दान करने का विशेष महत्व बताया जाता है। आज मंदिर में जाकर ब्राह्मण को दान अवश्य दें।  
-इस दिन सूर्य को तांबे के बर्तन में लाल चंदन, गंगा जल और जल मिलाकर ऊं पितृभ्य: नम: मंत्र के जाप के साथ 3 बार अर्घ्य दें।
-इस दिन गाय, कुत्ते, कौआ,पक्षी और चींटी को खाना अवश्य दें।  

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