Nirjala ekadashi vrat: 10 जून या 11 जून निर्जला एकादशी व्रत कब रखना है सही, यहां जानें
Nirjala ekadashi इस साल निर्जला एकादशी व्रत 10 या 11 इसको लेकर कंफ्यूजन है। उदया तिथि के हिसाब से 11 जून को व्रत रखना उत्तम होता है। भीम ने भी यह व्रत रखा और मूर्छित हो गए। इसे भीमसेनी एकादशी कहते हैं
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निर्जला एकादशी व्रत सभी एकादशी में सबसे बड़ी एकादशी मानी जाती है। इस साल इसकी दो तिथि मानी जा रही है। दरअसल एकादशी तिथि 10 जून को शुक्रवार की सुबह सात बजकर पच्चीस मिनट से शुरू हो रही है और अगले दिन 11 जून को शाम 5.45 बजे तक रहेगी। तिथि अगर सूर्योदय से पहले लग रही है तो उसे उदया तिथि कहते हैं, उसी में यह व्रत किया जाता है। इसलिए लोगों में निर्जला एकादशी व्रत की तिथि को लेकर थोड़ा कंफ्यूजन है। दरअसल पंचांगों में अंतर के कारण कई जगह यह 10 जून तो कई जगह 11 जून को मनाई जा रही है।
वाराणसी के पंचांग के अनुसार ज्योतिषाचार्य विमल जैन ने बताया कि एकादशी की तिथि 9 जून को मध्य रात्रि के बाद 2:25 बजे लग चुकी है जो 10 जून की रात 1:16 बजे तक रहेगी। उदया तिथि में एकादशी 10 जून को ही मिलेगी। ऐसे में निर्जला एकादशी का व्रत इसी दिन करना चाहिए। कुछ लोग 11 जून को एकादशी की गणना कर रहे हैं जो शास्त्रीय दृष्टि से उचित नहीं है।
दूसरे पंचांग के अनुसार सूर्योदय के बाद लगने वाली तिथि अगले दिन ही मानी जाती है। एकादशी 10 जून को सूर्योदय के बाद सुबह7.25 पर लग रही है, इसलिए इसे उदया तिथि नहीं माना जाएगा। इसलिए एकादसी व्रत उदया तिथि 11 जून को ही करना उत्तम रहेगा। दरअसल देव कार्यों की तिथि उदयातिथि से मनानी जाती है। निर्जला एकादशी की उदयातिथि 11 जून को ही रहेगी। इसी दिन द्वादशी का क्षय और तेरस भी लग रही है। जिससे अति शुभ मुहूर्त भी बन रहा है।
इस दिन निर्जला व्रत रखें, पीले वस्त्र धारण करें और भगवान विष्णु की पूजा कर व्रत का संकल्प लें। भगवान को भी पीली वस्तुएं अर्पित करें और मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें। अन्न और फलों का भी त्याग रखें। गरीब और जरूरतमंदों को दान करें। अगले दिन द्वादशी में भी स्नान कर श्री हरि अन्न-जल ग्रहण व्रत को परायण करें। ऐसा करने से पापों का नाश होता है।