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कब से शुरू है 2020 की नवरात्रि? जानिए नवरात्रि से जुड़े इतिहास, तथ्य, उत्सव और महत्त्व को 

कब से शुरू है 2020 की नवरात्रि? जानिए नवरात्रि से जुड़े इतिहास, तथ्य, उत्सव और महत्त्व को   अक्टूबर के महीने में मनाया जाने वाला नवरात्रि का...

कब से शुरू है 2020 की नवरात्रि? जानिए नवरात्रि से जुड़े इतिहास, तथ्य, उत्सव और महत्त्व को 
लाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्ली Wed, 14 Oct 2020 04:12 PM
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कब से शुरू है 2020 की नवरात्रि? जानिए नवरात्रि से जुड़े इतिहास, तथ्य, उत्सव और महत्त्व को 

 अक्टूबर के महीने में मनाया जाने वाला नवरात्रि का त्योहार हिन्दू धर्म में विशेष महत्तव रखता है। इसे न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया में धूमधाम से मनाया जाता है। नवरात्रि शब्द संस्कृत भाषा के दो शब्दों- 'नव' यानी नौ(9) और 'रात्रि' यानी रात से मिलकर बना है। नवरात्रि का त्योहार देवी दुर्गा द्वारा महिषासुर के वध का उत्सव मनाता है। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। 

भारत के विभिन्न भागों  में इसे अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। बहुत से हिस्सों में लोग सात दिनों तक व्रत रखते हैं और नवरात्रि के आखिरी दिन व्रत तोड़ते हैं। इस उत्सव के उपलक्ष्य में गरबा नृत्योत्सव आयोजित किए जाते हैं। लोग अपने दोस्तों और परिवारों के साथ गरबा खेलने जाते हैं।

कब है 2020 की नवरात्रि?

इस साल 17 अक्टूबर से 25 अक्टूबर तक नवरात्रि मनायी जाएगी। हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल नवरात्रि अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपाद तिथि से शुरू होगी। यह तिथि इस साल 17 अक्टूबर को है। पहले दिन की पूजा का शुभ मुहुर्त सुबह 6.30 से 10.30 बजे तक का है। 

साल 2020 की नवरात्रि की पूजा का कार्यक्रम-

प्रतिपाद घटास्थापना- 17 अक्टूूबर 2020

द्वितीय मां ब्रह्मचारिणी पूजा- 18 अक्टूूबर 2020

मां चंद्रघंटा पूजा- 19 अक्टूबर 2020

चतुर्थी मां कूष्मांडा पूजा- 20 अक्टूूबर 2020

पंचमी मां स्कंदमाता पूजा- 21 अक्टूूबर 2020

षष्ठी मां कात्यानी पूजा- 22 अक्टूूबर 2020

सप्तमी मां कालरात्रि पूजा- 23 अक्टूूबर 2020

अष्टमी मां महागौरी दुर्गा महा नवमी पूजा- 24 अक्टूूबर 2020

नवमी मां सिद्धीदात्री नवरात्रि परण विजय दशमी- 25 अक्टूूबर 2020

क्या है नवरात्रि का इतिहास?

नवरात्रि की कथा में महिषासुर नामक राक्षस को देवी दुर्गा ने पराजित किया था। ऐसा कहा जाता है कि महिषासुर को ब्रह्म देव से अमरता का वरदान प्राप्त था। इस अमरत्व की शर्त यही थी कि महिसाषुर को सिर्फ कोई स्त्री ही पराजित कर सकती थी। 

अमरत्व का वरदान पाकर महिषासुर निरंकुश हो गया और उसने तीनों लोकों- पृथ्वी, आकाश और पाताल पर आक्रमण कर दिया। चुंकि महिषासुर को सिर्फ एक स्त्री ही पराजित कर सकती थी इसलिए देवता भी युद्ध नहीं कर सकते थे। ऐसे में देवताओं ने ब्रह्न देव, विष्णु देवता और शंकर देवता से प्रार्थना की और महिषासुर को हराने के लिए उनकी मदद मांगी। 

विष्णु देव ने निर्णय लिया कि महिषासुर को हराने के लिए वे एक स्त्री का निर्माण करेंगे। इस देवी में ब्रह्म देव और शंकर देव ने भी अपनी शक्तियों को डाला। देवी दुर्गा ने महिषासुर से युद्ध किया। तीनों लोकों को हिला देने वाला यह युद्ध 15 दिनों तक चला। युद्ध के दौरान महिषासुर निरंतर अपने रूप बदलता रहा। अंत में एक भैंसे का रूप धारण परने पर देवी दुर्गा ने उसकी छाती पर त्रिशूल से वार करके उसे पराजित किया। इसी के साथ बुराई पर अच्छाई की जीत की स्थापना हुयी।

क्या आप जानते हैं?

नवरात्रि के हर दिन मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा होती है। पहले दिन देवी शैलपुत्री, दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन देवी चंद्रघंटा, चौथे दिन देवी कूष्मांडा की पूजा की जाती है। वहीं पांचवे दिन देवी स्कन्दमाता, छठे दिन देवी कात्यानी, सातवें दिन देवी कालरात्री और आठवें दिन देवी महागौरी की पूजा की जाती है। नौवें और आखिरी दिन देवी सिद्धीदात्री का पूजन कियाा जाता है।

 

 

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