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Navratri 2020: आज मां शैलपुत्री के पूजन के साथ होगी नवरात्रि की घटस्थापना, घटस्थापना के लिए कलश में रखें ये सामग्री, पढ़ें मुहूर्त

नवरात्र के पहले दिन मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा की जाती है। पर्वतराज हिमालय के यहां पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा। पूर्व जन्म में ये प्रजापति दक्ष की कन्या...

Navratri 2020: आज मां शैलपुत्री के पूजन के साथ होगी नवरात्रि की घटस्थापना, घटस्थापना के लिए कलश में रखें ये सामग्री, पढ़ें मुहूर्त
सूर्यकांत द्विवेदी,मेरठ Sat, 17 Oct 2020 09:41 AM
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नवरात्र के पहले दिन मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा की जाती है। पर्वतराज हिमालय के यहां पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा। पूर्व जन्म में ये प्रजापति दक्ष की कन्या थीं, तब इनका नाम सती था। इनका विवाह भगवान शंकरजी से हुआ था। प्रजापति दक्ष के यज्ञ में सती ने अपने शरीर को भस्म कर अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया। पार्वती और हैमवती भी उन्हीं के नाम हैं। उपनिषद् की एक कथा के अनुसार, इन्हीं ने हैमवती स्वरूप से देवताओं का गर्व-भंजन किया था। नव दुर्गाओं में प्रथम शैलपुत्री का महत्व और शक्तियां अनन्त हैं। नवरात्र पूजन में प्रथम दिन इन्हीं की पूजा और उपासना की जाती है। इस दिन उपासना में योगी अपने मन को मूलाधार चक्र में स्थित कर साधना करते हैं। नवरात्रि में पहले दिन कलश स्थापना होती है। इसी के साथ नवरात्रि की शुरुआत हो जाती है। आइए जानें नवरात्रि में किस प्रकार करनी चाहिए कलश स्थापना

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ऐसे करें घट स्थापना
-चौकी पर लाल आसन बिछाकर देवी भगवती को प्रतिष्ठापित करें
-ईशान कोण में घटस्थापना करें
-कलश में गंगाजल, दो लोंग के जोड़े, सरसो, काले तिल, हल्दी, सुपारी रखें
-कलश में जल पूरा रखें, सामर्थ अनुसार चांदी का सिक्का या एक रुपये का सिक्का रखें
-कलश के चारों ओर पांच, सात या नौ आम के पत्ते रख लें
-जटा नारियल पर लाल चुनरी बांध कर नौ बार कलावा बांध दें। ( गांठ न लगाएं)
( नारियल को पीले चावल हाथ में रखकर संकल्प करें और फिर नारियल कलश पर स्थापित कर दें। कलश का स्थान न बदलें। प्रतिदिन कलश की पूजा करें)
-कलश स्थापना से पहले गुरु, अग्रणी देव गणेश, शंकरजी, विष्णुजी, सर्वदेवी और नवग्रह का आह्वान करें।
-जिस मंत्र का जाप संकल्प लें, उसी का वाचन करते हुए कलश स्थापित करें  

घट स्थापना का मुहूर्त ( शनिवार) 
शुभ समय - सुबह  6:27 से 10:13 तक ( विद्यार्थियों के लिए अतिशुभ)
अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 11:44 से 12:29 तक (  सर्वजन)
स्थिर लग्न ( वृश्चिक)- प्रात: 8.45 से 11 बजे तक ( शुभ चौघड़िया, व्यापारियों के लिए श्रेष्ठ)   

किस राशि के लिए शुभ
सभी राशियों के लिए शुभ। मेष और वृश्चिक के लिए विशेष फलदायी।

आज का शुभ रंग :  लाल 
मां शैलपुत्री को लाल रंग बहुत प्रिय है। उन्हें लाल रंग की चुनरी, नारियल और मीठा पान भेंट करें। 

किस रंग के कपड़े पहनें
भक्त पूजा के समय लाल और गुलाबी रंग के वस्त्र धारण करें।

आज के दिन का महत्व
नवदुर्गाओं में शैलपुत्री का सर्वाधिक महत्व है। पर्वतराज हिमालय के घर मां भगवती अवतरित हुईं, इसीलिए उनका नाम शैलपुत्री पड़ा। अगर जातक शैलपुत्री का ही पूजन करते हैं तो उन्हें नौ देवियों की कृपा प्राप्त होती है।

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