नवरात्रि के पहले दिन होती है मां शैलपुत्री की पूजा, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि
Navratri 2019 Shubh Muhurat Timings : प्रतिपदा शैलपुत्री-रविवार, 29 सितंबर से नवरात्र शुरु हो रहे हैं। नवरात्रि के पहले दिन प्रतिपदा पर घरों में घटस्थापना की जाती है। प्रतिपदा पर मां शैलपुत्री...
Navratri 2019 Shubh Muhurat Timings : प्रतिपदा शैलपुत्री-रविवार, 29 सितंबर से नवरात्र शुरु हो रहे हैं। नवरात्रि के पहले दिन प्रतिपदा पर घरों में घटस्थापना की जाती है। प्रतिपदा पर मां शैलपुत्री के स्वरूप का पूजन होता है। शैलपुत्री को देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों में प्रथम माना गया है। मान्यता है कि नवरात्र में पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा करने से व्यक्ति को चंद्र दोष से मुक्ति मिल जाती है। आइए जानते हैं मां को प्रसन्न करने के लिए किस शुभ मुहूर्त में और किस विधि से करनी चाहिए मां की अराधना।
देवी का नाम शैलपुत्री इसलिए पड़ा-
हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण देवी का नाम शैलपुत्री पड़ा। कथा के अनुसार दक्षप्रजापति ने यज्ञ का आयोजन किया। उसमें समस्त देवताओं को आमंत्रित किया किंतु भगवान शिव को नहीं बुलाया। सती यज्ञ में जाने के लिए आतुर हो उठीं। भगवान शिव ने बिना निमंत्रण यज्ञ में जाने से मना किया लेकिन सती के आग्रह पर उन्होंने जाने की अनुमति दे दी। वहां जाने पर सती का अपमान हुआ। इससे दुखी होकर सती ने स्वयं को यज्ञाग्नि में भस्म कर लिया। तब भगवान शिव ने क्रोधित होकर यज्ञ को तहस नहस कर दिया। वही सती अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्मीं और शैलपुत्री कहलाईं। काशी में इनका स्थान मढिया घाट बताया गया है जो वर्तमान में अलईपुर क्षेत्र में है।
पहला शारदीय नवरात्र 2019 शुभ मुहूर्त-
घट स्थापना का शुभ मुहूर्त- सुबह 6 बजकर 16 मिनट से 7 बजकर 40 मिनट तक (29 सितंबर 2019)
अभिजित मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 48 मिनट से दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक (29 सितंबर 2019)
ऐसे करें मां शैलपुत्री की पूजा-
मां शैलपुत्री की अराधना करने से पहले चौकी पर मां शैलपुत्री की तस्वीर या प्रतिमा को स्थापित करें। इसके बाद उस पर एक कलश स्थापित करें। कलश के ऊपर नारियल और पान के पत्ते रख कर एक स्वास्तिक बनाएं। इसके बाद कलश के पास अंखड ज्योति जला कर 'ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ओम् शैलपुत्री देव्यै नम:' मंत्र का जाप करें। इसके बाद मां को सफेद फूल की माला अर्पित करते हुए मां को सफेद रंग का भोग जैसे खीर या मिठाई आदि लगाएं। इसेक बाद माता कि कथा सुनकर उनकी आरती करें। शाम को मां के समक्ष कपूर जलाकर हवन करें।
प्रतिपदा का रंग है पीला-
पीला रंग ब्रह्स्पति का प्रतीक है। किसी भी मांगलिक कार्य में इस रंग की उपयोगिता सर्वाधिक मानी गई है। इस रंग का संबंध जहां वैराग्य से है वहीं पवित्रता और मित्रता भी इसके दो प्रमुख गुण हैं।
मां शैलपुत्री के मंत्र-
1. ऊँ शं शैलपुत्री देव्यै: नम:
2. वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
3. वन्दे वांछित लाभाय चन्द्राद्र्वकृतशेखराम्। वृषारूढ़ा शूलधरां यशस्विनीम्॥
4. या देवी सर्वभूतेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥ मां