महिषासुर के विनाश के लिए उत्पन्न हुईं मां कात्यायनी
मां कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं। मां पार्वती के नौ रूपों में वह छठा स्वरूप हैं। जब महिषासुर का अत्याचार बढ़ गया तब भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों ने अपने-अपने तेज का अंश देकर महिषासुर के विनाश के...
मां कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं। मां पार्वती के नौ रूपों में वह छठा स्वरूप हैं। जब महिषासुर का अत्याचार बढ़ गया तब भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों ने अपने-अपने तेज का अंश देकर महिषासुर के विनाश के लिए देवी को उत्पन्न किया। महिषासुर को भगवान ब्रह्मा से वरदान था कि उसे स्त्री के अलावा कोई और नहीं मार सकता। महर्षि कात्यायन ने सर्वप्रथम इनकी पूजा की। इसी कारण वह कात्यायनी कहलाईं।
मां कात्यायनी महर्षि कात्यायन की पुत्री हैं। भगवान कृष्ण को पतिरूप में पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने माता की पूजा की थी। मां ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं। मां कात्यायनी की पूजा से वैवाहिक जीवन की शुरुआत अच्छी होती है। मान्यता है कि जिस कन्या की शादी में बाधा आ रही हो उन्हें मां कात्यायनी की पूजा करनी चाहिए। मां कात्यायनी की पूजा करते समय लाल वस्त्र धारण करें। माता को लाल रंग के पुष्प अर्पित करें। हल्दी और शहद अर्पित करें। मां कात्यायनी की पूजा सूर्यास्त के समय की जाती है।
इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।