ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News AstrologyNavaratri 2020 Tripunj of Shri Durga Saptashati welfare of all know its importance

नवरात्रि 2020: सबका कल्याण करता है श्री दुर्गा सप्तशती का 'त्रिपुंज'

श्री दुर्गा सप्तशती के 13 अध्याय के 700 श्लोकों का नवरात्रि के प्रत्येक दिन में पाठ किए जाने का विधान है, लेकिन आज के व्यस्ततापूर्ण समय में अगर समयाभाव के कारण 13 अध्याय संभव नहीं हों, तो कीलकम्,...

नवरात्रि 2020: सबका कल्याण करता है श्री दुर्गा सप्तशती का 'त्रिपुंज'
लाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्ली Tue, 24 Mar 2020 03:45 PM
ऐप पर पढ़ें

श्री दुर्गा सप्तशती के 13 अध्याय के 700 श्लोकों का नवरात्रि के प्रत्येक दिन में पाठ किए जाने का विधान है, लेकिन आज के व्यस्ततापूर्ण समय में अगर समयाभाव के कारण 13 अध्याय संभव नहीं हों, तो कीलकम्, कवचम् व अर्गला के साथ चौथे व ग्यारहवें अध्याय का पाठ लाभकारी है। श्री दुर्गा सप्तशती के मध्यम चरित्र में अर्गला व कीलकम् के साथ दूसरे, तीसरे व चौथे अध्याय का पाठ उपयोगी है।

श्री दुर्गा सप्तशती का कवचम् सब प्रकार से रक्षा करने वाला है। ‘ऊं नम: चण्डिकायै' से प्रारम्भ हुए इस महामंत्र निधि में देवी के नौ नाम हैं और इसमें कुल 55 श्लोक हैं। इसमें देवी के रूप, स्वरूप व वाहन के साथ यश और कृति के वृत्तान्त का अपूर्व वर्णन है। अर्गला स्तोत्रम् का श्रीगणेश भी ‘ऊं नम: चण्डिकायै' से ही होता है, जिसमें महामाया से 18 बार अनुनय-विनय की गई है कि ‘हे माता! आप मुझे रूप दो, जय दो, यश दो और मेरे शत्रुओं का नाश करो।' श्री दुर्गा सप्तशती में स्पष्ट कहा गया है कि जो भी अर्गला स्तोत्र का पाठ करके सप्तशती रूपी महास्तोत्र का पाठ करता है, वह सप्तशती की जप संख्या से मिलने वाले श्रेष्ठ फल को प्राप्त होता है। इसमें प्रारंभ में देवी के एकादश नाम सहित कुल 25 श्लोक हैं।

 

Happy Navratri 2020 : नवरात्रि से पहले अपनों को भेजें ये Best शुभकामना संदेश

चैत्र नवरात्रि 2020: भगवान ब्रह्मा ने प्रतिपदा के दिन की थी सृष्टि की रचना, जानिए इसका महत्व

 

कीलक स्तोत्रम का प्रारम्भ भी ‘ऊं नम: चण्डिकायै' से हुआ है, जिसमें कुल 142 श्लोकों से भगवती के समक्ष आत्म निवेदन प्रस्तुत किया गया है। इसमें वर्णन है कि कीलकम् जैसे कल्याणमय स्तोत्र का हमेशा जप करना चाहिए। इस स्तोत्र का उच्च स्वर से पाठ करने पर पूर्ण फल की सिद्धि होती है। इसलिए उच्च स्वर से ही इसका पाठ करना चाहिए। ‘देवी सूक्त' भी मंगलकारी है, जिसमें ‘नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो: नम:' मंत्र का समावेश है। कहते हैं कि जिस घर में श्री दुर्गा सप्तशती रहती है, वहां मां दुर्गा किसी न किसी रूप में अवश्य रहती हैं। कीलकम्, कवचम् व अर्गला को ‘त्रिपुंज' कहा जाता है, जो देवी को अत्यंत प्रिय है। पहले कवचम् फिर अर्गला और अंत में कीलकम् का पाठ शास्त्रसम्मत बताया गया है। इसके साथ ही देवी के 32 नामों की माला, जैसे ‘अथ दुर्गाद्वात्रिंशन्नाममाला' भी परमकल्याणकारी है। विवरण है कि जो भी दुर्गा सप्तशती में अंकित कीलकम् स्त्रोत, कवचम् स्त्रोत व अर्गला स्तोत्रम का पाठ करता है, जगन्माता उसके सम्पूर्ण पंचकार्य, जैसे- तिरोभाव, सृष्टि, स्थिति, संहृति और अनुग्रह का निष्पादन स्वयं कर आगे का हर मार्ग सर्वसुलभ कर देती हैं।

- डॉ. राकेश कुमार सिन्हा ‘रवि'

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें