Narak chaturdashi 2019: पाप और नरक से मुक्ति दिलाता है नरक चतुर्दशी व्रत, इस दिन करें हनुमान जी की पूजा
नरक चतुर्दशी और हनुमान जयंती 26 अक्तूबर को है। इसे रूप चतुर्दशी के साथ ही नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है। कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी की रात्रि के अंत में जिस दिन चंद्रोदय के समय चतुर्दशी हो, उस दिन सुबह...
नरक चतुर्दशी और हनुमान जयंती 26 अक्तूबर को है। इसे रूप चतुर्दशी के साथ ही नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है। कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी की रात्रि के अंत में जिस दिन चंद्रोदय के समय चतुर्दशी हो, उस दिन सुबह स्नान आदि करें और यमलोकदर्शनाभवकामोअहमभ्यंक स्नानं करिष्ये-कहकर संकल्प करें। इसी दिन हनुमान जयंती भी है। इस दिन हनुमान भक्तों को हनुमान चालीसा या सुंदर कांड पढ़ना चाहिए।
शरीर में तिल के तेल आदि का उबटन लगा लें। हल से उखाड़ी मिट्टी का ढेला मस्तक के ऊपर बार-बार घुमा कर शुद्ध स्नान करें। वैसे तो कार्तिक स्नान करने वालों के लिए तेल लगाना वर्जित है, लेकिन ‘नरकस्य चतुर्दश्यां तैलाभ्यंग च कारयेत। अन्यत्र कार्तिकस्नायी तैलाभ्यंग विवर्जयेत’ के अनुसार नरक चतुर्दशी में तेल लगाना अति आवश्यक है। वरुण देवता को स्मरण करते हुए स्नान करना चाहिए। नहाने के जल में हल्दी और कुमकुम अवश्य डालना चाहिए।
भगवान कृष्ण ने किया था नरकासुर का वध
नरक चतुर्दशी को शाम को दीपक अवश्य जलाना चाहिए। इस दिन कृष्ण भगवान ने राक्षस नरकासुर का वध किया था और राजा बलि को भी भगवान विष्णु ने वामन अवतार में प्रकट होकर आशीर्वाद दिया था। नरक चतुर्दशी की एक कथा धर्मात्मा राजा रन्तिदेव से भी जुड़ी है। उन्होंने सदैव धर्म अनुसार राज्य किया, लेकिन एक दिन उनके द्वार से एक गरीब आदमी अन्नदान न मिलने से भूखा लौट गया। इस बात का राजा को पता भी नहीं चला। फलस्वरूप जिस दिन राजा की मृत्यु हुई उनके पास यमदूत खडे़ हो गए। राजा चौंक गए और पूछा, ‘जीवन भर कोई पाप तो हुआ नहीं, फिर आप क्यों आ गए?’ यमदूत ने कहा, ‘ गरीब आदमी आपके यहां से भूखा लौट गया था।’ राजा तपस्वी थे। यमदूत से एक साल का समय मांगा।
ऋषियों से सलाह लेकर उन्होंने आज ही के दिन नरक चतुर्दशी का व्रत किया और भूखों को भोजन कराकर अपने अपराधों के लिए उनसे क्षमा मांगी। इससे राजा पापमुक्त होकर विष्णु लोक में प्रवेश कर गए। असल में यह व्रत पाप और नरक से मुक्ति दिलाता है नरक चतुर्दशी व्रत।
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