ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News Astrologynag panchami 2020 For the first shastrartha will be online time on Nagpanchami

nag panchami 2020: नागपंचमी पर पहली बार ऑनलाइन होगा शास्त्रार्थ

काशी में नागपंचमी को नागकूप पर होने वाले शास्त्रार्थ की सदियों पुरानी परंपरा का इस वर्ष ऑनलाइन निर्वहन होगा। कोरोना संक्रमण के चलते ऐसा पहली बार होगा। नागकूप का संबंध महर्षि पतंजलि से है। ऐसी मान्यता...

nag panchami 2020: नागपंचमी पर पहली बार ऑनलाइन होगा शास्त्रार्थ
प्रमुख संवाददाता,वाराणसीTue, 21 Jul 2020 12:12 AM
ऐप पर पढ़ें

काशी में नागपंचमी को नागकूप पर होने वाले शास्त्रार्थ की सदियों पुरानी परंपरा का इस वर्ष ऑनलाइन निर्वहन होगा। कोरोना संक्रमण के चलते ऐसा पहली बार होगा। नागकूप का संबंध महर्षि पतंजलि से है। ऐसी मान्यता है कि यहां श्रावण शुक्ल पंचमी तिथि पर शास्त्रार्थ करने से वाणी पवित्र होती है और मेधा शक्ति का विकास होता है। 

पांच विद्वान करेंगे विल्वार्चन 
नागपंचमी, 25 जुलाई को प्रातः नागकूपेश्वर महादेव का पांच वैयाकरण विद्वान पाणिनी अष्टाध्यायी से विल्वार्चन करेंगे। यह अनुष्ठान श्रीविद्यामठ के प्रभारी स्वामी अविमुक्तेश्वारानन्द सरस्वती के सानिध्य में होगा। इसके बाद नागकूप शास्त्रार्थ समिति की ओर से राष्ट्रीय वेबिनार होगा। वेबिनार में शास्त्रार्थ, शोधपत्र वाचन और व्याकरण शास्त्र पर चर्चा की जाएगी। प्रतिवर्ष इस अनुष्ठान में सैकड़ो संस्कृतसेवी उपस्थित होते हैं। देश के कोने कोने के विद्वान नागपंचमी पर नागकूप में शोधपत्रों का वाचन करते हैं। 

26 वर्ष पूर्व आयोजन को मिला राष्ट्रीय स्वरूप
काशी विद्वत परिषद के अध्यक्ष महामहोपाध्याय पं. रामयत्न शुक्ल ने वर्ष-1995 में नागकूप शास्त्रार्थ समिति का गठन कर इस आयोजन को राष्ट्रीय स्वरूप प्रदान किया। देश के ख्यातिलब्ध विद्वान और विद्यार्थी यहां शास्त्रार्थ के लिए आने लगे। संस्कृत की सेवा करने वाले देश के पांच विद्वानों को प्रति वर्ष सम्मानित भी किया जाता है मगर इस वर्ष सम्मान समारोह स्थगित रहेगा। अगले वर्ष दस विद्वानों को एक साथ सम्मानित किया जाएगा। नागकूप शास्त्रार्थ समिति काशी में प्रतिमास शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को मठों, संस्कृत विद्यालयों तथा विश्वविद्यालयों में शास्त्रार्थ सभा कराती है। शास्त्रार्थ में विजयी होने वाले विद्वानों और छात्रों को सम्मानित किया जाता है।

शास्त्रार्थ के लिए निर्णायक मंडल गठित
इस वर्ष होने वाले ऑनलाइन शास्त्रार्थ के लिए विषयवार निर्णायक मंडल का गठन हो चुका है। व्याकरण, वेदांत, मीमांसा, ज्योतिष, साहित्य, न्याय, दर्शन विषय के लिए प्रो. भगवत शरण शुक्ल, प्रो. ब्रजभूषण ओझा, डा दिव्यचैतन्य ब्रह्मचारी, प्रो. रामकिशोर त्रिपाठी, प्रो. धनंजय पाण्डेय, प्रो. माधव जनार्दन रटाटे, प्रो. शंकर मिश्र, प्रो. विनय पाण्डेय, प्रो अमित शुक्ल, प्रो. शिवजी उपाध्याय, प्रो. वशिष्ठ त्रिपाठी, प्रो. सच्चिदानन्द मिश्र को निर्णायक बनाया गया है। शास्त्रार्थ सत्र की अध्यक्षता अन्नपूर्णा मंदिर के महंत रामेश्वर पुरी करेंगे। संपूर्णानंद संस्कृत विश्विवद्यालय के कुलपति प्रो. राजाराम शुक्ल मुख्य अतिथि तथा महर्षि पाणिनी संस्कृत विश्वविद्यालय उज्जैन के पूर्व कुलपति प्रो. आरसी पण्डा विशिष्ट अतिथि होंगे जबकि गुजरात विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. अर्कनाथ चौधरी मुख्य वक्ता होंगे। इस सत्र में सोमनाथ संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. गोपबंधु शुक्ल का विशिष्ट व्याख्यान होगा। शोध संगोष्ठी सत्र की अध्यक्षता लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, दिल्ली के कुलपति प्रो. रमेश कुमार पांडेय करेंगे।

महर्षि पतंजलि भूत बनकर देते थे व्याकरण की शिक्षा
समिति के महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी के अनुसार मान्यता है कि महर्षि पतंजलि ने व्याकरण शास्त्र के अद्वितीय ग्रंथ महाभाष्य की रचना इसी स्थान पर की थी। वह शरीर त्यागने के बाद भूत के रूप में व्याकरण की शिक्षा दिया करते थे। इसका प्रमाण आचार्य नागेश भट्ट की आत्मकथा में मिलता है। उन्होंने लिखा है कि महर्षि पतंजलि ने उनके सामने शर्त रखी थी कि जिस दिन वह यह भेद खोल देंगे, उसी दिन से वह शिक्षा देना बंद कर देंगे। शिक्षा का यह क्रम कई वर्षों तक चला। एक बार नागपंचमी के दिन ही शास्त्रार्थ के दौरान नागेश भट्ट के कुछ तर्कों को विद्वान मानने के लिए तैयार नहीं थे। अंतत: नागेश भट्ट ने भेद खोल दिया। उसके बाद से नागेश भट्ट को महर्षि के दर्शन नहीं हुए। 

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें