भगवान का मन कहे जाते हैं यह मुनि, हर विद्या में हासिल है महारथ
ज्येष्ठ माह की प्रतिपदा के दिन भगवान श्री हरि विष्णु के परम भक्त नारद जी का जन्म हुआ। इस दिन नारद जयंती मनाई जाती है। ब्रह्मर्षि नारद भगवान ब्रह्मा जी के मानस पुत्रों में से एक माने गए हैं। कहा जाता ह
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ज्येष्ठ माह में प्रतिपदा के दिन भगवान श्री हरि विष्णु के परम भक्त नारद जी का जन्म हुआ। इस दिन नारद जयंती मनाई जाती है। ब्रह्मर्षि नारद भगवान ब्रह्मा जी के मानस पुत्रों में से एक माने गए हैं। कहा जाता है कि नारद जी का जन्म सृष्टिकर्ता ब्रह्माजी के कंठ से हुआ। उन्हें तीनों लोक में विचरण करने का वरदान प्राप्त है। शास्त्रों में इन्हें भगवान का मन भी कहा गया है।
भगवान श्री हरि विष्णु के परम भक्त नारदजी को हर विद्या में महारथ हासिल है। उन्हें आदि पत्रकार भी कहा जाता है। मुनि नारद महान संगीतकार, संवाददाता और लेखक भी हैं। कठिन तपस्या के बाद उन्हें ब्रह्मर्षि का पद प्राप्त हुआ। नारद जी को महर्षि व्यास, महर्षि वाल्मीकि और महाज्ञानी शुकदेव का गुरु माना जाता है। नारदजी को अपने ज्ञान और परम भक्ति के कारण ही ऋषियों में सबसे बड़ा पद मिला। देवता, ऋषि और दैत्य, सभी उनका सम्मान करते थे। नारद जयंती के दिन सूर्योदय से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने के बाद नारद जी की आराधना करें। नारद जी को चंदन, तुलसी के पत्ते, कुमकुम, अगरबत्ती, फूल अर्पित करें। ब्राह्मणों को सामर्थ्य अनुसार दान करें। व्रत का संकल्प करें। शाम को पूजा करने के बाद भगवान श्री हरि विष्णु की आरती करें। इस दिन श्रीमद्भागवत गीता और दुर्गा सप्तशती का पाठ अवश्य करें। नारद जयंती के दिन पूजा उपासना करने से बल, बुद्धि और शुद्धता प्राप्त होती है।
इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।