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तिरुपति मंदिर में मुकेश अंबानी ने चढ़ाया बेटी की शादी का कार्ड, जानें इस मंदिर की खासियत

मुकेश अंबानी की बेटी ईशा अंबानी की शादी 12 दिसंबर को आनंद पीरामल से होने जा रही है। शादी की तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। इस बीच मुकेश अंबानी और बेटे अनंत अंबानी आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में...

तिरुपति मंदिर में मुकेश अंबानी ने चढ़ाया बेटी की शादी का कार्ड, जानें इस मंदिर की खासियत
लाइव हिन्‍दुस्‍तान टीम,नई दिल्लीTue, 27 Nov 2018 03:34 PM
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मुकेश अंबानी की बेटी ईशा अंबानी की शादी 12 दिसंबर को आनंद पीरामल से होने जा रही है। शादी की तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। इस बीच मुकेश अंबानी और बेटे अनंत अंबानी आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में पहुंचे। जहां उन्होंने शादी का कार्ड भगवान वेंकटेश के सामने चढ़ाया। इससे पहले अंबानी परिवार ने मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर में पहला कार्ड चढ़ाया था।

ईशा अंबानी और आनंद पीरामल की शादी मुकेश अंबानी और नीता अंबानी के मुंबई स्थित घर में 12 दिसंबर को होगी। जहां परिवार और खास दोस्त शामिल होंगे।इससे पहले सितंबर में इटली के लेक कोमो में दोनों की सगाई हुई थी। जिसके बाद अक्टूबर में ईशा और आनंद की शादी की तारीख सामने आई थी।

जानें तिरुपति बालाजी मंदिर की खासियत

तिरुपति बालाजी मंदिर के मुख्य दरवाजे के दाईं ओर एक छड़ी है। कहा जाता है कि इसी छड़ी से बालाजी की बाल रूप में पिटाई हुई थी, जिसके चलते उनकी ठोड़ी पर चोट आई थी।

मान्यता है कि बालरूप में एक बार बालाजी को ठोड़ी से रक्त आया था। इसके बाद से ही बालाजी की प्रतीमा की ठोड़ी पर चंदन लगाने का चलन शुरू हुआ। 

कहते हैं कि बालाजी के सिर रेशमी बाल हैं और उनके रेशमी बाल कभी उलझते नहीं।

हैरानी की बात तो यह है कि वास्तव में बालाजी महाराज मंदिर में दाएं कोने में खड़े हैं, लेकिन उन्हें देख कर ऐसा लगता है मानों वे गर्भगृह के मध्य भाग में खड़े हों।

तिरुपति बालाजी मंदिर में बालाजी महाराज को रोजाना धोती और साड़ी से सजाया जाता है।

इस मंदिर में एक जलता हुआ दीपक है जो सदियों से जल रहा है लेकिन कोई नहीं जानता की ये दीपक कब और किसके द्वारा जलाया गया था।

कहते हैं कि बालाजी महाराज की मूर्ती की पीठ पर कान लगाकर सुनने से समुद्र घोष सुनाई देता है और उनकी पीठ को चाहे जितनी बार भी क्यों न साफ कर लिया जाए वहां बार-बार गीलापन आ जाता है।

इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।

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