datta jayanti 2022 2022:आज मार्गशीर्ष पूर्णिमा को है ब्रह्मा, विष्णु और महेश के अंश श्रीदत्तात्रेय की जयंती
ब्रह्मा, विष्णु और महेश के अंश श्रीदत्तात्रेय का जन्म मार्गशीर्ष पूर्णिमा को हुआ था, इसलिए इस पूर्णिमा का इतना महत्त्व है। इस बार यह 7 दिसंबर को है। दत्तात्रेय ने 24 गुरु बनाए। ऐसा माना जाता है कि केव

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ब्रह्मा, विष्णु और महेश के अंश श्रीदत्तात्रेय का जन्म मार्गशीर्ष पूर्णिमा को हुआ था, इसलिए इस पूर्णिमा का इतना महत्त्व है। इस बार यह 7 दिसंबर को है। दत्तात्रेय ने 24 गुरु बनाए। ऐसा माना जाता है कि केवल स्मरण करने मात्र से ही यह भक्तों के पास पहुंच जाते हैं। पूर्णिमा में पूर्ण चंद्रमा के कारण सकारात्मकता होती है। पूर्णिमा में शिव की परमप्रिय काशी में जीवनदायनी गंगा का स्नान अद्भुत फल देता है। इस दिन जो अपने पितरों का तर्पण करता है, उन्हें पितृदोष से मुक्ति मिलती है। इस दिन विष्णु और लक्ष्मी की विशेष पूजा होती है। पूर्णिमा के दिन उपवास, पवित्र नदियों में स्नान-दान करने की परंपरा है।
कथा है कि माता पार्वती, लक्ष्मी और सवित्री जी को अपने पतिव्रत और सद्गुणों पर अभिमान हो गया। नारद को महसूस हुआ तो अभिमान समाप्त करने के लिए माताओं को कह दिया कि सती अनुसुइया के समान पतिव्रता और सद्गुण संपन्न स्त्री तीनों लोकों में कोई और नहीं हैं। तीनों देवियों ने त्रिदेवों को विवश किया कि वे अनुसुइया का पतिव्रत धर्म भंग करे। तीनों देव, तीनों देवियों की बात सुनकर सती अनुसुइया की परीक्षा लेने के लिए उनके पास पहुंच गए। अनुसुइया जी ने त्रिदेवों के छल को समझ कर उन्हें अपने तप के बल पर बाल रूप में बदलकर पालने में सुला दिया। जब माता लक्ष्मी, पार्वती और सावित्री अपने पतियों को लेने अनुसुइया के पास आईं, तो दृश्य देखकर उनसे क्षमा मांगी, तब अनुसुइया ने पुन अपने तप के बल पर तीनों देवों को पहले वाले रूप में ला दिया। तीनों देव ने प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया कि वे तीनों उनके पुत्र के रूप में जन्म लेंगे।
सती अनुसुइया और महर्षि अत्रि के पुत्र दत्तात्रेय के तीन सिर और छह भुजाएं हैं। पृथ्वी, गाय और वेद के रूप में चार कुत्ते सदैव इनके साथ रहते हैं। श्रीमद्भागवत में दत्तात्रेय जी ने कहा है कि उन्होंने अपनी बुद्धि के अनुसार बहुत से गुरुओं का आश्रय लिया। पृथ्वी, वायु, आकाश, जल, अग्नि, चंद्रमा, सूर्य, कबूतर, अजगर, समुद्र, पतंग, भौंरा या मधुमक्खी, हाथी, शहद निकालनेवाला, हरिन, मछली, पिंगला वेश्या, कुरर पक्षी, बालक, कुंआरी कन्या, बाण बनाने वाला, सर्प, मकड़ी और भृंगी कीट—ये सभी श्रीदत्तात्रेय के गुरु हैं।