आस्था स्थली: मनोकामनाएं पूरी करने वाली देवी हैं मारिअम्मन कोविल
तमिलनाडु में तंजौर शहर को पार करके छह किलोमीटर आगे नागपट्टनम मार्ग पर स्थित है मारिअम्मन कोविल यानी माता पार्वती का मंदिर। पुन्नाईनालुर मारिअम्मन देवी के मंदिर में तंजौर व तमिलनाडु के लोगों की अगाध...
तमिलनाडु में तंजौर शहर को पार करके छह किलोमीटर आगे नागपट्टनम मार्ग पर स्थित है मारिअम्मन कोविल यानी माता पार्वती का मंदिर। पुन्नाईनालुर मारिअम्मन देवी के मंदिर में तंजौर व तमिलनाडु के लोगों की अगाध श्रद्धा है। तंजौर शहर के बाहरी इलाके में स्थित इस मंदिर के आसपास सदैव मेले जैसा वातावरण रहता है।
इस मंदिर के निर्माण को लेकर कथा है कि तंजौर के मराठा राजा वेनकोजी महाराज छत्रपति को सपना आया। देवी ने सपने में कहा कि पुन्ना के जंगलों में मेरी मूर्ति है। राजा ने दिन में सपने के संकेत के मुताबिक देवी की मूर्ति की तलाश करवाई। उन्हें देवी की मूर्ति प्राप्त हुई और यहां विशाल मंदिर का निर्माण कराया। इस मंदिर का निर्माण 1680 में हुआ। मंदिर का गलियारा काफी लंबा है। मंदिर के गोपुरम पर देवी की अलग-अलग भंगिमाओं में मूर्तियां बनाई गई हैं। इन्हें चटख रंगों से रंगा गया है।
स्थानीय लोगों में विश्वास है कि मां मारिअम्मन बहुत ही दयालु हैं और जो भी मांगो, वो मनोकामना पूर्ण करती हैं। इसलिए काफी लोग अपनी इच्छाओं को लेकर यहां पहुंचते हैं। कहा जाता है कि 18वीं सदी के तुलजा राजा की पुत्री की आंखों की रोशनी चली गई थी, जो माता की अनवरत आराधना से वापस आ गई। मंदिर में तमाम तरह के संस्कारों के लिए भी लोग पहुंचते हैं। आम दिनों में मंदिर सुबह 5.30 से रात्रि 9.30 बजे तक खुला रहता है। रविवार को सुबह 4.30 से रात 9.45 तक मंदिर में दर्शन किए जा सकते हैं। रविवार को मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ जाती है। मंदिर में अलग-अलग विशेष पूजा का भी समय तय है।
कैसे पहुंचें: तंजौर के पुराने बस स्टैंड से मंदिर की दूरी 6 किलोमीटर और नए बस स्टैंड से करीब 10 किलोमीटर है। स्थानीय बसें मंदिर के पास से होकर गुजरती हैं। पर अच्छा होगा कि आप रिजर्व ऑटो लेकर मंदिर पहुंचें।