मां गौरी को समर्पित है यह पावन व्रत, उपवास रखने से पूरी होती हैं मन्नतें
भगवान शिव को प्रिय सावन माह में जितना महत्व सोमवार के दिन का माना जाता है उतना ही महत्व मंगलवार के दिन का भी माना जाता है। सावन माह में मंगलवार के दिन मां पार्वती को समर्पित मंगला गौरी का पावन व्रत...
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भगवान शिव को प्रिय सावन माह में जितना महत्व सोमवार के दिन का माना जाता है उतना ही महत्व मंगलवार के दिन का भी माना जाता है। सावन माह में मंगलवार के दिन मां पार्वती को समर्पित मंगला गौरी का पावन व्रत किया जाता है। मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से वैवाहिक जीवन से जुड़ी समस्त समस्याएं समाप्त हो जाती हैं, सौभाग्य में वृद्धि होती है और घर-परिवार में सुख शांति का वास होता है।
मंगला गौरी व्रत श्रावण माह के सभी मंगलवार को किया जाता है। इस दिन मां गौरी की उपासना की जाती है। सावन माह में मंगलवार के दिन यह व्रत किया जाता है, इसलिए इसे मंगला गौरी व्रत कहा जाता है। इस व्रत में ब्रह्म मुहूर्त में उठें। नित्य कर्मों से निवृत्त होकर व्रती को नए वस्त्र धारण करना चाहिए। इस व्रत में एक ही समय शुद्ध एवं शाकाहारी भोजन ग्रहण किया जाता है। इस व्रत में पूरे दिन मां पार्वती की आराधना की जाती है। इस व्रत में मंगला गौरी के साथ हनुमानजी की उपासना करें। हनुमान जी के चरण से सिंदूर लेकर माथे पर टीका लगाएं। ऐसा करने से भाग्य में वृद्धि होती है। इस व्रत में गौरी पूजन के साथ सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए। व्रती को अधिक से अधिक समय ऊं गौरी शंकराय नमः का जाप करना चाहिए। इस व्रत को सुहागिन महिलाएं रखती हैं और इस व्रत के प्रभाव से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से मनचाहे फल की प्राप्ति होती है। रात्रि के समय कभी भी मंगला गौरी अनुष्ठान नहीं करना चाहिए।
इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।