Makar Sankranti 2020: जब भगवान राम की पतंग पहुंची थी इंद्रलोक
मकर संक्रांति के दिन उमंग, उत्साह और मस्ती का प्रतीक पतंग उड़ाने की लंबे समय से चली आ रही परंपरा मौजूदा दौर में काफी बदलाव के बाद भी बरकरार है। आधुनिक जीवन की भाग-दौड़ में भले ही लोगों में पतंगबाजी का...
मकर संक्रांति के दिन उमंग, उत्साह और मस्ती का प्रतीक पतंग उड़ाने की लंबे समय से चली आ रही परंपरा मौजूदा दौर में काफी बदलाव के बाद भी बरकरार है। आधुनिक जीवन की भाग-दौड़ में भले ही लोगों में पतंगबाजी का शौक कम हो गया है लेकिन मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने की परंपरा आज भी बरकारार है। इसी परंपरा की वजह से मकर संक्रांति को पतंग पर्व भी कहा जाता है।
ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार सूर्य की मकर राशि में संक्रांति 15 जनवरी, बुधवार को सुबह 7:54 बजे होगी। इसलिए इसी दिन मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाएगा।
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मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने का वर्णन रामचरित मानस के बालकांड में मिलता है। तुलसीदास ने इसका वर्णन करते हुए लिखा है कि 'राम इन दिन चंग उड़ाई, इंद्रलोक में पहुंची जाई।' मान्यता है कि मकर संक्रांति पर जब भगवान राम ने पतंग उड़ाई थी, जो इंद्रलोक पहुंच गई थी। उस समय से लेकर आज तक पतंग उड़ाने की परंपरा चली आ रही है।
सालों पुरानी यह परंपरा वर्तमान समय में भी बरकरार है। आकाश में रंग-बिरंगी अठखेलियां करती पतंग को देख हर किसी का मन पतंग उड़ाने के लिए लालायित हो उठता है। हर साल 14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन लोग चूड़ा-दही खाने के बाद मकानों की छतों और खुले मैदानों में पतंग उड़ाकर दिन का मजा लेते हैं। मकर संक्रांति के दिन पतंगबाजी करते लोगों का उत्साह देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि आज मकर राशि (मकर रेखा पर) में प्रवेश कर चुके सूर्य को पतंग की डोर के सहारे उत्तरी गोलार्द्ध (कर्क रेखा) की ओर खींचने का प्रयास कर रहे हों। ताकि, उत्तर के लोग भी ऊर्जा के स्रोत सूर्य की कृपा से धन-धान्य से परिपूर्ण हो सकें।
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