Makar Sankranti 2020: मकर संक्रांति पर तिल का है खास महत्व, जानें इसके पीछे की पौराणिक कथा
Makar Sankranti 2020: सनातन धर्म में मकर संक्रांति को हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक माना जाता है।धार्मिक ग्रंथों में सूर्य के गोचर को संक्रांति कहा जाता है। इस दिन सूर्य दक्षिणायन से...
Makar Sankranti 2020: सनातन धर्म में मकर संक्रांति को हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक माना जाता है।धार्मिक ग्रंथों में सूर्य के गोचर को संक्रांति कहा जाता है। इस दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होते हुए धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इस साल ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार मंगलवार रात्रि 2.06 बजे सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही सूर्य उत्तरायण के हो जाएंगे, अर्थात सूर्य पृथ्वी के उत्तरी भाग में अपना अधिकाधिक प्रकाश उत्सर्जित करेंगे। लगभग पांच माह तक यही स्थिति बनी रहेगी और उसके बाद पश्चात मई माह में कर्क राशि में प्रवेश करते ही सूर्य दक्षिणायन के हो जाएंगे। मकर संक्राति के दिन सफेद तिल को काफी महत्व दिया जाता है। लेकिन क्या आप इसके पीछे की असल वजह क्या हैं?
मकर संक्रांति पर तिल का महत्व-
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अगर मकर संक्राति के दिन तिल का दान या सेवन किया जाए तो ऐसा करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं। इसके अलावा यदि किसी व्यक्ति पर शनि देव का कुप्रभाव है तो वह भी तिल दान करने से खत्म हो जाता है।
मकर संक्रांति पर क्यों चढ़ाए जाते हैं तिल-
मकर संक्रांति पर तिल से जुड़ी यह कथा काफी प्रचलित है। इस कथा के अनुसार, शनि देव को उनके पिता सूर्य देव पसंद नहीं करते थे। इसी कारण सूर्य देव ने शनि देव और उनकी मां छाया को अपने से अलग कर दिया। इस बात से क्रोध में आकर शनि और उनकी मां ने सूर्य देव को कुष्ठ रोग का श्राप दे दिया। पिता को कुष्ठ रोग में पीड़ित देख सूर्य भगवान की दूसरी पत्नी संज्ञा के पुत्र यमराज ने तपस्या की।
यमराज की तपस्या से सूर्यदेव कुष्ठ रोग से मुक्त हो गए। लेकिन सूर्य देव ने क्रोध में आकर शनि देव और उनकी माता के घर ‘कुंभ’, जो शनि प्रधान राशि है, को जला दिया। इससे माता छाया और पुत्र शनि दोनों को बहुत कष्ट हुआ। यमराज ने अपनी सौतेली माता और भाई शनि को कष्ट में देख उनके कल्याण के लिए पिता सूर्य को समझाया।
यमराज की बात मान सूर्य देव शनि से मिलने उनके घर पहुंचे। कुंभ में आग लगने के बाद वहां काले तिल के अलावा सब कुछ जल गया था। इसलिए शनि देव ने अपने पिता सूर्य देव की पूजा काले तिल से की। इसके बाद सूर्य देव ने शनि को उनका दूसरा घर ‘मकर’ दिया।
मान्यता है कि शनि देव को तिल की वजह से ही उनके पिता, घर और सुख की प्राप्ति हुई, तभी से मकर संक्रांति पर सूर्य देव की पूजा के साथ तिल का बड़ा महत्व माना जाता है।चंद्र के शुक्र प्रधान पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में रहते हुए सूर्य का राशि परिवर्तन सभी के लिए लाभदायक होगा, क्योंकि यह संयोग सभी की एकरूपता को भंग करेगा, जिससे नए विचार और नए दृष्टिकोण विकसित होंगे। नए अवसर भी प्राप्त होंगे। वे लोग, जो प्रगति नही कर पा रहे, उन्हें प्रगति की नई इच्छा शक्ति प्राप्त होगी। धन-धान्य की परिपूर्ति भी होगी।