मकर राशि में प्रवेश करेगा सूर्य, अब बदल जाएगा मौसम
मकर संक्रांति को स्नान और दान का पर्व भी कहा जाता है। इस दिन तीर्थो एवं पवित्र नदियों में स्नान का बेहद महत्व है साथ ही तिल, गुड़, खिचड़ी, फल एवं राशि के अनुसार दान करने पर पुण्य की प्राप्ति होती हे।...
मकर संक्रांति को स्नान और दान का पर्व भी कहा जाता है। इस दिन तीर्थो एवं पवित्र नदियों में स्नान का बेहद महत्व है साथ ही तिल, गुड़, खिचड़ी, फल एवं राशि के अनुसार दान करने पर पुण्य की प्राप्ति होती हे। ऐसी मान्यता है कि इस दिन किए गए दान से सूर्य देवता प्रसन्न होते हैं। इन सभी मान्यताओं के अलावा मकर संक्रांति पर्व से एक उत्साह और भी जुड़ा है। इस दिन पतंग उड़ाने का भी विशेष महत्व होता है। लोग बेहद आनंद और उल्लास के साथ पतंगबाजी करते हैं। मकर संक्रांति का त्योहार 14 जनवरी को मनाया जाता है जब सूर्य उत्तरायन होकर मकर रेखा से गुजरता है। कभी-कभी 13 या 15 जनवरी को भी मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है।
मकर संक्रांति का सीधा संबंध पृथ्वी के भूगोल और सूर्य की स्थिति से है। जब सूर्य मकर रेखा पर आता है वह दिन 14 जनवरी का होता है।
पादरी महबूब मसीह बताते हैं कि प्रभु यीशु का फरमान है कि गरीबों के साथ हमदर्दी का बरताव करो। उनके खाने के लिए भोजन और पहनने के लिए कपड़े और रहने को मकान का प्रबंध करो। कोई बीमार है तो उसकी सेवा करके सेहतमंद बनाओ। अशिक्षतों को शिक्षित बनाने से प्रभु प्रसन्न होते हैं और लोगों की दुआएं भी मिलती हैं। .
नौ चीजों पर वाजिब होती है जकात
मौलाना जमान बाकरी बताते हैं कि जकात नौ चीजों पर वाजिब होती है। जिसमें सोना, चांदी, जौ, गेहूं, भेड़, बकरी, किशमिश, खजूर, गाय शामिल है। जकात गरीब और फुकरा, मिसकीन, यतीम, बेवाओं को दी जा सकती है। गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले को जकात देना सवाब है।
सरदार निर्मल सिंह बताते हैं कि आमदनी में एक भाग गरीबों को दान दिए जाने के लिए रखना चाहिए। इससे आमदनी में बरकत होती है। लोगों को खाना खिलाने यानि लंगर छकाने से रूह को सुकून मिलता है। लंगर गुरुद्वारों की पहचान बन चुके हैं।
सिविल लाइंस क्षेत्र में टायलेट का कराया निर्माण रानास प्रभारी सतीश भाटिया अब तक शहर में 52 प्याऊ बनवा चुके हैं। शहर का पहला जन शौचालय का निर्माण सिविल लाइंस क्षेत्र में कराया। जिसपर 50 हजार की लागत आई है। जन शौचालय का उदघाटन 19 दिसंबर को 2018 को हुआ है। स्वयं 43 बार रक्तदान किया और 300 से अधिक नेत्रदान कराए हैं और स्वयं देहदान का संकल्प लिया है। इनके साथ 17 अन्य लोगों ने भी देहदान का संकल्प लिया है।
रक्तदान करने में हमेशा रहे आगे
वीर खालसा सेवा समिति के अध्यक्ष सरदार अवतार सिंह रक्तदान करने में हमेशा आगे रहते हैं स्वयं ही नहीं अपने फ्रेंड्स सर्किल में लोगों को रक्तदान करने के लिए प्रेरित करते हैं। अब तक करीब दो दर्जन रक्तदान शिविरों का आयोजन भी करा चुके हैं।
पंडित विश्वनाथ मिश्र बताते हैं कि ज्योतिष की दृष्टि से देखें तो इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है और सूर्य के उत्तरायण की गति प्रारंभ होती है। खिचड़ी इस पर्व की प्रमुख पहचान है। खासकर गुड़ और घी के साथ खिचड़ी खाने का महत्व है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर तिल का उबटन और स्नान किया जाता है। इसके अलावा तिल और गुड़ के लड्डू एवं अन्य व्यंजन भी बनाए जाते हैं। इस दिन सुहागन महिलाएं सुहाग की सामग्री का आदान प्रदान करती हैं। ऐसा माना जाता है कि इससे उनके पति की आयु लंबी होती है। इस दिन तिल, गुड़, खिचड़ी, फल एवं राशि के अनुसार दान करने पर पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन किए गए दान से सूर्य देवता प्रसन्न होते हैं।
मौसम में बदलाव के समय विशेष सावधानी बरतें। इस समय सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायन में प्रवेश करता है। इसलिए स्वस्थ्य बने रहने के लिए गर्म पानी का प्रयोग सर्वोत्तम रहता है। गरिष्ठ भोजन करने से बचें और हल्का-फुलका भोजन करें। डॉ आलोक सिंहल, ह्रदय रोग विशेषज्ञ.
मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ के बने लड्डू और खिचड़ी का सेहत के लिए विशेष महत्व है। तिल और गुड़ की तासीर गर्म होती है और इसमें पौष्टिक तत्व होते हैं सर्दियों में इन्हें खाने से शरीर को गर्मी मिलती है और शरीर स्वस्थ्य रहता है।
डॉ कुलदीप चौहान, आयुर्वेदाचार्य