Makar sankranti 2019: कुंभ में पहला शाही स्नान मकर संक्रांति के दिन
कुंभ के पहले शाही स्नान की शुरुआत भी मकर संक्रांति के दिन से होती है। ज्योतिष गणना के अनुसार वृहस्पति के मेष राशि में प्रवेश होने तथा सूर्य और चंद्र के मकर राशि में आने पर अमावस्या के दिन...
कुंभ के पहले शाही स्नान की शुरुआत भी मकर संक्रांति के दिन से होती है। ज्योतिष गणना के अनुसार वृहस्पति के मेष राशि में प्रवेश होने तथा सूर्य और चंद्र के मकर राशि में आने पर अमावस्या के दिन प्रयागराज में संगम तट पर कुम्भ का आयोजन होता है। इस दिन खिचड़ी खाने की परंपरा है। इसलिए इसे खिचड़ी पर्व भी कहा जाता है।
देश में विभिन्न तीर्थ स्थान है, जहां मकर संक्रांति के मौके पर ही तीर्थ की शुरुआत मानी गई है। उत्तर प्रदेश में कुंभ मेले की शुरुआत हो जाती है तो केरल में सबरीमाला में दर्शनों के लिए लोग उमड़ पड़ते हैं। इसी दिन नर्मदा ताप्ति नदियों में डुबकी भी लगाना शुभ माना गया है। प्राचीन मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान से सभी पाप धुल जाते हैं।
माना जाता है कि मकर संक्रांति के पर तिल को जल मिलाकर स्नान करना चाहिए। इसके बाद दान संक्रांति में गुड़, तेल, कंबल, फल, छाता आदि दान करने से पुण्यफल की प्राप्ति होती है। वैज्ञानिक पहलुओं से देखें तो ठंड के मौसम जाने का सूचक है और मकर संक्रांति पर दिन-रात बराबर अवधि के होते हैं। इसके बाद से दिन बडे हो जाते हैं और मौसम में गर्माहट आने लगती है। फसल कटाई अथवा बसंत के मौसम का आगमन भी इसी दिन से मान लिया जाता है।
मकर संक्रांति के दिन सूर्य दक्षिण के बजाय अब उत्तर को गमन करने लग जाता है. जब तक सूर्य पूर्व से दक्षिण की ओर गमन करता है तब तक उसकी किरणों का असर स्वास्थ्य की दृष्टि से खराब माना गया है, लेकिन जब वह पूर्व से उत्तर की ओर गमन करते लगता है तब उसकी किरणें सेहत को लाभ पहुंचाती हैं।