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महाशिवरात्रि से पहले से शुरू कर लें ये उपाय, शिवजी हो जाएंगे प्रसन्न, बरसेगी विशेष कृपा

mahashivratri vrat 2023 upay : इस साल महाशिवरात्रि का पावन पर्व 18 फरवरी को बड़े ही धूम- धाम से मनाया जाएगा। महाशिवरात्रि के पावन दिन विधि- विधान से भगवान शंकर की पूजा- अर्चना की जाती है।

महाशिवरात्रि से पहले से शुरू कर लें ये उपाय, शिवजी हो जाएंगे प्रसन्न, बरसेगी विशेष कृपा
Yogesh Joshiलाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्लीSat, 11 Feb 2023 07:09 AM

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इस साल महाशिवरात्रि का पावन पर्व 18 फरवरी को बड़े ही धूम- धाम से मनाया जाएगा। महाशिवरात्रि के पावन दिन विधि- विधान से भगवान शंकर की पूजा- अर्चना की जाती है। महाशिवरात्रि से पहले ही भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए आदि शंकराचार्य द्वारा रचित शिव स्तुति और शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ अवश्य करें। शिव स्तुति और शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ करने से शिवजी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। आगे पढ़ें  शिव स्तुति और शिव पंचाक्षर स्तोत्र....

  • आदि शंकराचार्य द्वारा रचित शिव स्तुति

पशूनां पतिं पापनाशं परेशं गजेन्द्रस्य कृत्तिं वसानं वरेण्यम।
जटाजूटमध्ये स्फुरद्गाङ्गवारिं महादेवमेकं स्मरामि स्मरारिम।।

महेशं सुरेशं सुरारातिनाशं विभुं विश्वनाथं विभूत्यङ्गभूषम्।
विरूपाक्षमिन्द्वर्कवह्नित्रिनेत्रं सदानन्दमीडे प्रभुं पञ्चवक्त्रम्।।

गिरीशं गणेशं गले नीलवर्णं गवेन्द्राधिरूढं गुणातीतरूपम्।
भवं भास्वरं भस्मना भूषिताङ्गं भवानीकलत्रं भजे पञ्चवक्त्रम्।।

शिवाकान्त शंभो शशाङ्कार्धमौले महेशान शूलिञ्जटाजूटधारिन्।
त्वमेको जगद्व्यापको विश्वरूप: प्रसीद प्रसीद प्रभो पूर्णरूप।।

परात्मानमेकं जगद्बीजमाद्यं निरीहं निराकारमोंकारवेद्यम्।
यतो जायते पाल्यते येन विश्वं तमीशं भजे लीयते यत्र विश्वम्।।

न भूमिर्नं चापो न वह्निर्न वायुर्न चाकाशमास्ते न तन्द्रा न निद्रा।
न गृष्मो न शीतं न देशो न वेषो न यस्यास्ति मूर्तिस्त्रिमूर्तिं तमीड।।

अजं शाश्वतं कारणं कारणानां शिवं केवलं भासकं भासकानाम्।
तुरीयं तम:पारमाद्यन्तहीनं प्रपद्ये परं पावनं द्वैतहीनम।।

नमस्ते नमस्ते विभो विश्वमूर्ते नमस्ते नमस्ते चिदानन्दमूर्ते।
नमस्ते नमस्ते तपोयोगगम्य नमस्ते नमस्ते श्रुतिज्ञानगम्।।

प्रभो शूलपाणे विभो विश्वनाथ महादेव शंभो महेश त्रिनेत्।
शिवाकान्त शान्त स्मरारे पुरारे त्वदन्यो वरेण्यो न मान्यो न गण्य:।।

शंभो महेश करुणामय शूलपाणे गौरीपते पशुपते पशुपाशनाशिन्।
काशीपते करुणया जगदेतदेक-स्त्वंहंसि पासि विदधासि महेश्वरोऽसि।।

त्वत्तो जगद्भवति देव भव स्मरारे त्वय्येव तिष्ठति जगन्मृड विश्वनाथ।

त्वय्येव गच्छति लयं जगदेतदीश लिङ्गात्मके हर चराचरविश्वरूपिन।।


इति श्रीमच्छंकराचार्यविरचितो वेदसारशिवस्तवः संपूर्णः ॥

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  • शिव पंचाक्षर स्तोत्र

नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय
भास्माङगारागाया महेश्वराय
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय
तस्मै “न” कराय नमः शिवाय

मंदाकिनी सलिलचन्दन चर्चिताय
नन्दीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय
मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय
तस्मै “म” काराय नमः शिवाय

शिवाय गौरिवदनाब्जवृन्द
सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय
श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय
तस्मै “शि” काराय नमः शिवाय

वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्य
मुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय
चन्द्रार्क वैश्वानरलोचनाय
तस्मै “व” काराय नमः शिवाय

यक्षस्वरूपाय जटाधराय
पिनाकहस्ताय सनातनाय
दिव्याय देवाय दिगम्बराय
तस्मै “य” काराय नमः शिवाय

पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवस्न्निधौ
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते

इति श्रीमद् शंकराचार्य विरचितं
शिवपञ्चाक्षरस्तोत्रम सम्पूर्णम

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