महाशिवरात्रि 2021: जब भगवान शिव ने केतकी के फूल को दिया था श्राप, पढ़ें भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी से जुड़ी है पौराणिक कथा
भगवान शिव को सफेद रंग अति प्रिय है। लेकिन सफेद रंग का हर फूल भगवान शिव के अर्पित नहीं करना चाहिए। शिवपुराण के अनुसार, भगवान शिव की पूजा में केतकी का फूल इस्तेमाल करना वर्जित है। कहा जाता है कि केतकी...
भगवान शिव को सफेद रंग अति प्रिय है। लेकिन सफेद रंग का हर फूल भगवान शिव के अर्पित नहीं करना चाहिए। शिवपुराण के अनुसार, भगवान शिव की पूजा में केतकी का फूल इस्तेमाल करना वर्जित है। कहा जाता है कि केतकी का फूल पूजा में इस्तेमाल करने से भगवान शिव प्रसन्न होने की बजाए नाराज हो सकते हैं। भगवान शिव की पूजा में केतकी का फूल वर्जित होने के पीछे एक पौराणिक कथा जुड़ी है। पढ़ें ये पौराणिक कथा-
शिव पुराण के अनुसार, एक बार ब्रह्माजी और भगवान विष्णु में विवाद हो गया कि दोनों में से दोनों में श्रेष्ठ कौन हैं। विवाद का फैसला करने के लिए भगवान शिव को न्यायकर्ता बनाया गया। उसी समय भोलेनाथ ने एक अखण्ड ज्योति लिंग के रूप में प्रकट की और कहा कि आप दोनों देवों में से जो भी ज्योतिर्लिंग का आदि और अंत बता देगा वहीं बड़ा कहलाएगा। ब्रह्मा जी ज्योतिर्लिंग को पकड़कर आदि पता करने के लिए नीचे की ओर चल पड़ और विष्णु भगवान ज्योतिर्लिंग का अंत पता करने के लिए ऊपर की ओर चल पड़े।
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कुछ समय चलने के बाद भी ज्योतिर्लिंग का आदि व अंत का पता नहीं चला। तो ब्रह्मा जी ने देखा कि एक केतकी का फूल भी उनके साथ नीचे आ रहा है। ब्रह्मा ने केतकी का फूल को बहला फुसलाकर झूठ बोलने के लिए तैयार कर लिया और भगवान शिव के पास पहुंच कर कहा कि मुझे ज्योतिर्लिंग जहां से उत्पन्न हुआ है वहां का पता चल गया है। लेकिन भगवान विष्णु ने कहा कि मैं ज्योतिर्लिंग का अंत नहीं जान पाया।
ब्रह्मा जी ने अपनी बात को सच साबित करने के लिए केतकी के फूल से भी गवाही दिलवाई। केतकी पुष्प ने भी ब्रह्मा की हां में हां मिला दी और विष्णु के पक्ष को असत्य बता दिया। लेकिन भगवान शिव ब्रह्मा जी के झूठ को जान गए। इस पर भगवान शिव वहां प्रकट हो गए। उन्होंने केतकी के झूठ पर गुस्सा होकर उसे सदा के लिए त्याग दिया। केतकी फूल ने झूठ बोला था इसलिए भगवान शिव ने उसे अपनी पूजा से वर्जित कर दिया और उसी दिन से भगवान शंकर की पूजा में केतकी पुष्प को चढ़ाना माना हो गया था।