Maha Shivaratri 2020: सत्य और शक्ति का दिन है महाशिवरात्रि
Maha Shivaratri 2020: शिव महिम्न: स्तोत्र' में प्रश्न है, ‘आप कैसे दिखते हैं शिव? हम आपका स्वरूप नहीं जानते। स्वयं शिव इस प्रश्न का उत्तर इस तरह देते हैं, ‘मैंने आपको दृष्टि दी है, आप...
Maha Shivaratri 2020: शिव महिम्न: स्तोत्र' में प्रश्न है, ‘आप कैसे दिखते हैं शिव? हम आपका स्वरूप नहीं जानते। स्वयं शिव इस प्रश्न का उत्तर इस तरह देते हैं, ‘मैंने आपको दृष्टि दी है, आप जिस तरह, जिस स्वरूप में मुझे देखना चाहते हैं देख लीजिए।' स्पष्ट संकेत है कि संसार में चल-अचल सब कुछ शिव ही हैं। समस्त आकारों के सृजनकर्ता शिव हैं, तो स्वयं निराकार भी शिव ही हैं। जटाजूट धारण करने वाले और विष प्रेरित सर्प को आभूषण के रूप में धारण करने वाले शिव ऐश्वर्य के अधिष्ठाता देव हैं।
सभी दिशाओं के स्वामी, जल, थल, आकाश और यहां तक कि पाताल के स्वामी भी शिव ही हैं। शिवजी ने अपनी अर्धांगिनी के रूप में मां आदि शक्ति का वरण किया है। शास्त्रों में वर्णित है कि शिव सत्य स्वरूप हैं और मां आदिशक्ति शक्ति स्वरूपा हैं। परम सत्य शिव ने शक्ति का वरण करके संकेत दिया है कि सत्य और शक्ति एक दूसरे के बगैर अधूरे हैं। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यदि देखा जाए तो विश्व की सबसे प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, जो मनुष्य के अस्तित्व का प्राचीनतम प्रमाण है, में भी उत्खनन के समय जो अवशेष मिले, उनमें पशुपति शिव की कई प्रतिमाएं व आकृतियां मिलीं। यह प्रमाणित करता है कि शिव ही आराधना की प्राचीनतम कड़ी हैं।
शिवजी का ध्यान मंत्र-
ध्यायेन्नित्यं महेशं रजत गिरिनिभं चारुचंद्रा वतंसम्,
रत्ना कल्पोज्ज्वल्लंग परशु मृगवरा भीति हस्तं प्रसन्नम्।।
पद्मासीनं समंतात स्तुतं मरगणैर व्याघ्र कृतिं वसानम्,
विश्वाध्यं विश्व बीजं निखिल भयहरं पंच वक्रं त्रिनेत्रम्।।
अर्थात इस जगत के आधार, समस्त रोग-शोक से भयमुक्त करने वाले, चन्द्र कांति वाले पद्मासन में बैठे भगवान शिव का ध्यान और मंत्र का प्रतिदिन उच्चारण मात्र सभी कष्टों से मुक्ति दिलाता है।
शिवरात्रि का व्रत सर्वश्रेष्ठ :
स्कन्दपुराण में कहा है- यह शिवरात्रि व्रत परात्पर है, इसके समान दूसरा कोई और व्रत नहीं है। नागर खंड में ऋषियों के पूछने पर सूतजी कहते हैं- माघ मास की पूर्णिमा के उपरांत कृष्णपक्ष में जो चतुर्दशी तिथि आती है, उसकी रात्रि ही शिवरात्रि है। उस समय शिव समस्त शिवलिंगों में संक्रमण करते हैं। कलियुग में यह व्रत सब पापों का नाश कर मनोकामनाएं पूर्ण करता है। जो चल या अचल शिवलिंग हैं, उन सबमें उस रात्रि भगवान शिव की शक्ति का संचार होता है। तभी इसे शिवरात्रि कहा गया है।