Mahakal Temple Ujjain: भगवान शिव को साल में सिर्फ इस दिन लगाई जाती है हल्दी, महाकाल मंदिर में शिवरात्रि उत्सव शुरू
विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग उज्जैन के महाकाल मंदिर में आज से महाशिवरात्रि पर्व शुरू हो गया है। यह साल का ऐसा अकेला दिन होता है, जब आज के दिन भोले शंकर का हल्दी से श्रृंगार किया...
विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग उज्जैन के महाकाल मंदिर में आज से महाशिवरात्रि पर्व शुरू हो गया है। यह साल का ऐसा अकेला दिन होता है, जब आज के दिन भोले शंकर का हल्दी से श्रृंगार किया जाता है। आपको बता दें भगवान शिव की पूजा में हल्दी का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग पुरुष तत्व का प्रतीक है और हल्दी स्त्रियोचित वस्तु है। इसलिए उनकी पूजा में हल्दी का इस्तेमाल नहीं किया जाता है, लेकिन शिवरात्रि से पहले आज के दिन कोटितीर्थ कुंड के समीप स्थित भगवान कोटेश्वर महादेव का अभिषेक पूजन किया जाता है और भगवान शिव और माता पार्वती को हल्दी लगाई जाती है। कहते हैं कि महाकाल के दुल्हा बनने से पहले यह हल्दी की रस्म है।
शिवरात्रि पर महाकाल दुल्हा बनेंगे, इसलिए आज उन्हें हल्दी लगाने का उत्सव शुरू हुआ है। नौ दिन उनका नौ अलग-अलग तरह से श्रृंगार किया जाएगा। महाकाल के इन विशेष दर्शनों के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।आज उत्सव की शुरुआतआज भोले बाबा की हल्दी की रस्म से हुई। इसी क्रम में आज सुबह 9.30 बजे गर्भगृह में भगवान महाकाल का पंचामृत अभिषेक कर विशेष पूजन किया गया।
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आपको बता दें कि शास्त्रीय वचनानुसार फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी के दिन महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। वैसे तो हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि व्रत होता है। ऐसे ही मान्यता है कि फाल्गुन शिवरात्रि के दिन भगवान शिव और पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था।
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