Maha Navami 2022: आज दोपहर 02:20 बजे तक रहेगी नवमी इसके बाद दशमी, जान लें हवन का मुहूर्त व विधि
महानवमी के दिन हवन के कई शुभ मुहूर्त बन रहे हैं। मान्यता है कि नवमी तिथि के दिन हवन व कन्या पूजन आदि करने के बाद व्रत करना चाहिए। आप भी जानें नवमी तिथि के शुभ मुहूर्त-
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Maha Navami, Hawan Shubh Muhurat October 2022: शारदीय नवरात्रि अब समापन की ओर हैं। नवरात्रि में आदिशक्ति मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। 4 अक्टूबर, मंगलवार को नवरात्रि की नवमी तिथि है। इस दिन भक्तगण मां सिद्धिदात्री की विधिवत पूजा-अर्चना करने के साथ हवन करते हैं। इस दिन कन्या पूजन का भी विधान है। नवमी तिथि के दिन नवरात्रि व्रत का पारण भी किया जाता है। जानें महानवमी पर हवन के शुभ मुहूर्त व विधि-
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विजयादशमी का शुभ मुहूर्त-
विजया दशमी 4 अक्टूबर को दोपहर 02 बजकर 21 मिनट से प्रारंभ होगी।
महानवमी 2022 शुभ मुहर्त-
3 अक्टूबर को शाम 04 बजकर 37 मिनट पर नवमी तिथि शुरू होगी, जो कि 4 अक्टूबर को दोपहर 02 बजकर 20 मिनट तक रहेगी। हिंदू पंचांग के अनुसार, महानवमी 4 अक्टूबर को मनाई जाएगी। मंगलवार दोपहर 1.32 बजे तक हवन का बढ़िया मुहूर्त है। वहीं सुबह 9.10 बजे से साढ़े 11 बजे के बीच स्थिर लग्न में भी हवन काफी लाभकारी माना जा रहा है। हवन का तीसरा शुभ मुहूर्त सुबह साढ़े 11 बजे से दोपहर डेढ़ बजे तक रहेगा। नवमी तिथि के समापन से पहले हवन करना लाभकारी माना गया है।
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हवन साम्रगी-
आम की लकड़ियां, बेल, नीम, पलाश का पौधा, कलीगंज, देवदार की जड़, गूलर की छाल और पत्ती, पापल की छाल और तना, बेर, आम की पत्ती और तना, चंदन का लकड़ी, तिल, कपूर, लौंग, चावल, ब्राह्मी, मुलैठी, अश्वगंधा की जड़, बहेड़ा का फल, हर्रे, घी, शक्कर, जौ, गुगल, लोभान, इलायची, गाय के गोबर से बने उपले, घी, नीरियल, लाल कपड़ा, कलावा, सुपारी, पान, बताशा, पूरी और खीर।
हवन विधि-
सबसे पहले हवन कुण्ड में अग्नि प्रज्ज्वलित करें। इसके बाद हवन साम्रगी गंध, धूप, दीप, पुष्प और नैवेद्य आदि अग्नि देव को अर्पित करें। फिर घी मिश्रित हवन सामग्री से या केवल घी से हवन किया जाता है।
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आहुति मंत्र-
ओम पूर्णमद: पूर्णमिदम् पुर्णात पूण्य मुदच्यते, पुणस्य पूर्णमादाय पूर्णमेल विसिस्यते स्वाहा।
ओम भूः स्वाहा, इदमगन्ये इदं न मम।
ओम भुवः स्वाहा, इदं वायवे इदं न मम।
ओम स्वः स्वाहा, इदं सूर्याय इदं न मम।
ओम अगन्ये स्वाहा, इदमगन्ये इदं न मम।
ओम घन्वन्तरये स्वाहा, इदं धन्वन्तरये इदं न मम।
ओम विश्वेभ्योदेवभ्योः स्वाहा, इदं विश्वेभ्योदेवेभ्योइदं न मम।
ओम प्रजापतये स्वाहा, इदं प्रजापतये इदं न मम।
ओम अग्नये स्विष्टकृते स्वाहा, इदमग्नये स्विष्टकृते इदं न मम।