माघ मेला 2021: सर्वार्थ अमृतसिद्धि योग में बसंत पंचमी स्नान कल, संगम में सुरक्षा बढ़ी
Magh Mela 2021: दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक और सांस्कृतिक माघ मेला के चौथे स्नान पर्व 'बसंत पंचमी' के अवसर पर अमृत से सिंचित और ब्रह्मदेव के यज्ञ से पवित्र तीर्थराज प्रयाग में चल रहे माघ...
Magh Mela 2021: दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक और सांस्कृतिक माघ मेला के चौथे स्नान पर्व 'बसंत पंचमी' के अवसर पर अमृत से सिंचित और ब्रह्मदेव के यज्ञ से पवित्र तीर्थराज प्रयाग में चल रहे माघ मेला की सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद रहेगी। मकर संक्रांति, पौष पूर्णिमा और मौनी अमावस्या स्नान पर्व पर श्रद्धालुओं की सुरक्षा का कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। सब कुछ कुशलता पूर्वक संपन्न हो गया। मंगलवार को माघ मेला के चौथे स्नान पर्व बसंत पंचमी पर पुलिस, पीएसी, अर्द्धसैनिक बल, बम निरोधक दस्ते के साथ एटीएस की टीम सक्रिय रहेगी। नियंत्रण कक्ष से सीसीटीवी फुटेज के माध्यम से संदिग्धों पर नजर रखेगी।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी ने बताया कि बसंत पंचमी पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी रहेगी। पुलिसकर्मियों को संदिग्धों पर नजर रखने और उनको पकड़ कर पूछताछ करने के निर्देश दिए गए हैं।
चौथे स्नान पर्व के अवसर को लेकर पुलिस लाइन सभागार में रविवार जवानों को प्रशिक्षण प्रदान किया गया। जवानों को अनुशासन के साथ ड्यूटी करने की सीख दी गई एवं श्रद्धालुओं के साथ विनम्रता से पेश आने के लिए कहा गया है। आचरण एवं व्यवहार में बदलाव लाने की नसीहत दी गई।
सर्वार्थ अमृतसिद्धि योग विशेष पुण्य फलदाई होगा-
वैदिक शोध संस्थान एवं कर्मकाण्ड प्रशिक्षण केन्द्र के पूर्व आचार्य डा आत्मराम गौतम ने बताया कि बसंत पंचमी के अवसर पर सर्वार्थ अमृतसिद्धि योग विशेष पुण्य फलदाई होगा। रेवती नक्षत्र में चतुष्ग्रही योग मिलने से ग्रहों का प्रभाव यह पर्व बढ़ाने वाला होगा। इस पर्व पर सुख-समृद्धि और सफलता के योग बन रहे हैं। बसंत पंचमी इस बार दो नई विशेषताओं के साथ आ रही है। रेवती नक्षत्र में बसंत पंचमी पर गुरू, शनि, शुक्र और बुध चार ग्रहों की एक साथ युति बनने से सफलता और कार्यसिद्ध का महायोग बन रहा है।
आचार्य ने बताया कि पंचमी तिथि सोमवार की रात दो बजकर 45 मिनट से शुरू होकर मंगलवार की रात तक रहेगी। इससे पहले मौनी अमावस्या पर्व पर आधी रात के बाद से श्रद्धालुओं ने संगम में आस्था की डुबकी लगानी शुरू कर दिया था जो देर शाम तक चला। इस अवसर पर करीब 30 लाख श्रद्धालुओं ने स्नान किया था।
उन्होंने बताया कि बसंत पंचमी माघ माघ माह के शुक्ल पक्ष को मनाया जाता है। इस दिन विद्या, बुद्धि और ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। विभिन्न ग्रंथो में देवी सरस्वती को ब्रह्मस्वरूपा, कामधेनु, अमित तेजस्वनी, अनंत गुणशालिनी और समस्त देवों की प्रतिनिधि बताया गया है। माघ माह का धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्व माना गया है। बसंत पंचमी के ही दिन होलिका उत्सव आरंभ हो जाता है। आचार्य ने बताया कि माना जाता है कि इसी दिन गंगा प्रजापति ब्रह्मा के कमंडल से निकलकर भागीरथ के पुरखों को मोक्ष प्रदान करने के लिए श्स्य श्यामला बनाने बनाने के लिए पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं। बसंत पंचमी के अवसर पर माघ मास में गंगा स्नान करना अत्यंत पुण्य फलदाई होता है।