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दान-पुण्य और त्याग का संदेश देता है यह माह

माह माघ हिंदी पंचांग का 11वां माह है। मघा नक्षत्रयुक्त पूर्णिमा होने से इस माघ माह का नाम माघ पड़ा। इस माह पवित्र नदियों में स्नान और सूर्य पूजन का विशेष महत्व है। पापों से मुक्ति के लिए प्रत्येक...

दान-पुण्य और त्याग का संदेश देता है यह माह
लाइव हिन्दुस्तान टीम,meerutSat, 11 Jan 2020 03:20 AM
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माह माघ हिंदी पंचांग का 11वां माह है। मघा नक्षत्रयुक्त पूर्णिमा होने से इस माघ माह का नाम माघ पड़ा। इस माह पवित्र नदियों में स्नान और सूर्य पूजन का विशेष महत्व है। पापों से मुक्ति के लिए प्रत्येक मनुष्य को माघ स्नान करना चाहिए। इस मास में स्नान, दान, उपवास और भगवान माधव की पूजा विशेष रूप से फलदायी है। माघ मास में तिल का दान करने से नरक से मुक्ति मिलती है। यह महीना दान-पुण्य और त्याग का महीना माना जाता है।

इस माह शीतल जल में डुबकी अवश्य लगाना चाहिए। माघ मास की पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की कथा का पाठ अवश्य करें। इस माह गणेश चतुर्थी व्रत को तिल चतुर्थी भी कहा जाता है। इसी माह लोहड़ी उत्सव भी मनाया जाता है। इस माह जब सूर्यदेव धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं तब मकर संक्रांति मनाई जाती है। इस माह मौनी अमावस्या पर नदियों में स्नान के बाद दान-पुण्य अवश्य करना चाहिए। पितरों के लिए श्राद्ध-तर्पण करना चाहिए। मौनी अमावस्या पर मौन रहकर या मुनियों जैसा आचरण करते हुए स्नान-दान करें। इसी माह बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। इस माह में शुक्ल पक्ष पंचमी से बसंत ऋतु का आरंभ होता है। इस माह जया एकादशी का व्रत भी रखा जाता है। माघ मास की अंतिम तिथि पूर्णिमा है। इस दिन संत रविवदास की जयंती मनाई जाती है। इस माह षटतिला एकादशी पर तिलों के जल से स्नान किया जाता है। इस दिन काले तिल व काली गाय के दान का विशेष महत्व है। माघ मास में शुक्ल पक्ष की सप्तमी को रथ सप्तमी का व्रत रखा जाता है। इस सप्तमी को अचला या भानू सप्तमी कहा जाता है। इस माह में अगर केवल एक समय भोजन किया जाए तो आरोग्य की प्राप्ति होती है।

इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।

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