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मानव कल्याण के लिए इस दिन धरती पर आईं मां शाकंभरी

मां शाकंभरी मां दुर्गा के अवतारों में एक हैं। पौष शुक्ल पूर्णिमा के दिन मां शाकंभरी की जयंती मनाई जाती है। मानव कल्याण के लिए मां शाकंभरी इसी दिन धरती पर आई थीं। मां ने अपने शरीर से उत्पन्न...

मानव कल्याण के लिए इस दिन धरती पर आईं मां शाकंभरी
लाइव हिन्दुस्तान टीम,meerutSun, 20 Jan 2019 03:13 AM
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मां शाकंभरी मां दुर्गा के अवतारों में एक हैं। पौष शुक्ल पूर्णिमा के दिन मां शाकंभरी की जयंती मनाई जाती है। मानव कल्याण के लिए मां शाकंभरी इसी दिन धरती पर आई थीं। मां ने अपने शरीर से उत्पन्न शाक-सब्जियों, फल-मूल से संसार का भरण-पोषण किया था। इसी कारण माता 'शाकंभरी' नाम से विख्यात हुईं।

जब दानवों के उत्पात से सृष्टि में अकाल पड़ गया तब मां शाकंभरी रूप में प्रकट हुईं। इस रूप में उनकी एक हजार आंखें थीं। जब उन्होंने अपने भक्तों का दयनीय हाल देखा तो लगातार नौ दिनों तक वह रोती रहीं। उनकी आंखों से जो आंसू निकले उससे अकाल दूर हुआ और चारों ओर हरियाली छा गई। देवी शाकंभरी की हजार आंखें थीं इसलिए माता को शताक्षी भी कहते हैं। मां शाकुंभरी देवी की उपासना करने वालों के घर धन धान्य से भरे रहते हैं। मां शाकंभरी का वर्ण नीला है। उनके नेत्र नील कमल के सदृश हैं। मां कमल पुष्प पर ही विराजती हैं। जो भक्त अन्न-शाक और जल का दान करते हैं ऐसे भक्तों से मां प्रसन्न होती हैं और धन धान्य का आशीर्वाद प्रदान करती हैं। शताक्षी देवी को शीतला देवी के नाम से भी संबोधित किया जाता है।

इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।

 

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