हिरण्यकशिपु का वध करने इस दिन प्रकट हुए भगवान नृसिंह
वैशाख शुक्ल चतुर्दशी का दिन नृसिंह चतुर्दशी के रूप में जाना जाता है। इस दिन ही भगवान विष्णु अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए आधा शरीर सिंह का और आधा शरीर मनुष्य का रखकर प्रकट हुए। भगवान के इस रूप को...
वैशाख शुक्ल चतुर्दशी का दिन नृसिंह चतुर्दशी के रूप में जाना जाता है। इस दिन ही भगवान विष्णु अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए आधा शरीर सिंह का और आधा शरीर मनुष्य का रखकर प्रकट हुए। भगवान के इस रूप को नृसिंह अवतार कहा गया। इसी तिथि को भगवान विष्णु ने नृसिंह अवतार लेकर दैत्यों के राजा हिरण्यकशिपु का वध किया था। नृसिंह चतुर्दशी पर भगवान नृसिंह की पूजा करने से हर मनोकामना पूर्ण होती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
मान्यता के अनुसार सूर्यास्त के समय भगवान नृसिंह का प्राकट्य हुआ था। भगवान श्री नृसिंह शक्ति तथा पराक्रम के देवता हैं। जब हिरण्यकशिपु अपने पुत्र प्रह्लाद को मारने ही वाला था, तब भगवान विष्णु नृसिंह अवतार लेकर खंभे से प्रकट हुए और उन्होंने अपने नाखूनों से हिरण्यकशिपु का वध कर दिया। भगवान ने भक्त प्रह्लाद को वरदान दिया कि आज के दिन जो भी मेरा व्रत करेगा, वह पापों से मुक्त होकर परमधाम को प्राप्त होगा। इस दिन भगवान नृसिंह को चंदन, कपूर, रोली व तुलसीदल भेंट करें। ब्राह्मणों को दान दें। उन्हें भोजन कराएं। भगवान नृसिंह तथा माता लक्ष्मी जी की मूर्ति स्थापित करें। भगवान की पूजा के लिए फल, पुष्प, पंचमेवा, कुमकुम, केसर, नारियल, अक्षत व पीताम्बर रखें। इस दिन व्रती को सामर्थ्य अनुसार तिल, स्वर्ण तथा वस्त्रादि का दान देना चाहिए।
इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।