आजकल महानगरों में फ्लैट्स,सोसाइटी और मल्टीस्टोरी का निर्माण चल रहा है। बड़े-बड़े शहरों में फ्लैट खरीदाना मजबूरी भी है, लेकिन फ्लैट सोसाइटी में सबकुछ वास्तु शास्त्र के अनुरूप नहीं होता। एक ही बिल्डिंग में दो जुड़वा मकान प्राय: एक दूसरे के विपरीत होते हैं। इनका वास्तु सदैव ठीक नहीं रहता है। फ्लैट्स खरीदेते समय सबसे पहले हमें यह ध्यान करना होगा कि भवन के निर्माण सामग्री कैसी है। इसलिए जब भी आप मकान ढूंढ रहे हैं, ध्यान रखिए चूना, ईट और सीमेंट से बना हुआ मकान शुभ रहता हैद्य। प्लास्टर के ऊपर पीओपी करा देने से भी मकान सांस लेता है, किंतु यदि आप पीओपी के ऊपर प्लास्टिक पेंट कराते हैं तो उस मकान या कमरे की सांस लेने की प्रक्रिया खत्म हो जाती है। फ्लैट्स में सीढ़ियों के साथ-साथ लिफ्ट भी लगी होती है। लिफ्ट के निकासी के सामने आपके मकान का द्वार नहीं होना चाहिए। मकान दरवाजे के सामने खुलती लिफ्ट सदैव हानिकारक होती है। ऐसी स्थिति में आप किसी षड्यंत्र का शिकार हो सकते हैं।
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कभी-कभी देखने में आता है प्रवेश द्वार ही संपूर्ण फ्रन्ट रहता है। बाकी सारा हिस्सा पीछे-चौड़ा हो जाता है। अर्थात फ्रंट के लिए केवल द्वार ही रहता है। ऐसे फ्लैट में वायु का प्रवाह उचित रूप से नहीं हो पाता और वहां नकारात्मक ऊर्जा का दबाव अधिक हो जाता है। इससे कुछ ही समय में मकान मालिक या उसके सदस्य ऊबने लगते हैं।
फ्लैट में यह देखा गया है कि कोई भी मकान आयताकार अथवा वर्गाकार नहीं होता है। मकान की डिजाइन बहुभुजाकार होती हैं। जो गृह स्वामी के लिए शुभ नहीं होती है। बालकनी भी अलग-अलग से निकली हुई होती हैं। एक बालकोनी से दूसरी बालकोनी के बीच खाली स्थान होता है। बालकोनी का इस प्रकार से कटना या अधूरा होना अपूर्णता की निशानी है। यह ध्यान रखें कि दो फ्लैट जुड़वा न हो। ऐसे में फ्लैट खरीदने से पहले वास्तु का ध्यान रखें।
(इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं तथा इन्हें अपनाने से अपेक्षित परिणाम मिलेगा। जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)