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सक्सेस मंत्र: श्रीराम के इन 5 गुणों से सीखें कि कठिन समय में भी कैसे पाएं सफलता

आज राम नवमी है। आज के दिन त्रेता युग में भगवान राम ने अयोध्या के राजा दशरथ के घर जन्म लिया था। श्रीराम भले ही भगवान विष्णु का सातवां अवतार हों लेकिन उनका जीवन एक आदर्श इंसान के रूप में ज्यादा मान्यता...

सक्सेस मंत्र: श्रीराम के इन 5 गुणों से सीखें कि कठिन समय में भी कैसे पाएं सफलता
लाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीSat, 24 Mar 2018 10:50 PM
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आज राम नवमी है। आज के दिन त्रेता युग में भगवान राम ने अयोध्या के राजा दशरथ के घर जन्म लिया था। श्रीराम भले ही भगवान विष्णु का सातवां अवतार हों लेकिन उनका जीवन एक आदर्श इंसान के रूप में ज्यादा मान्यता प्राप्‍त करता है। भगवान राम जिस साधारण व्यवहार और मानवीय गुणों के जरिए कठिन से कठिन कार्य किया वह दूसरों के लिए हमेशा प्रेरणादायी रहेगा। 

 

भगवान राम जीवन से ज्यादा कठिनाई वाला जीवन शायद ही किसी मनुष्य का रहा हो। ऐसे में सफलता की चाह रखने वालों को भगवान श्रीराम से बड़ी सीख मिल सकती है। आगे पढ़ें सफलता के लिए जरूरी भगवान राम के 5 गुणों के बारे में-


धैर्य और सहनशील
भगवान श्रीराम काफी सहनशील थे। इसके अलावा धैर्यतापूर्वक ही जीवन जीते थे। कैकेयी के कहने पर श्रीराम को वनवास में 14 साल बिताने पड़े। इसके बावजूद उन्होंने सहनशीलता दिखाई और वन में 14 साल बिताए।


सकारात्मक सोच
भगवान राम को सकारात्मक सोच वाला माना जाता है। इसी वजह से उन्होंने रावण के खिलाफ युद्ध में जीत दर्ज की। वे न सिर्फ सकारात्मक सोच वाले थे, बल्कि अन्य को प्रेरित भी करते थे। भगवान राम की प्रेरणा की वजह से ही वानरों की सेना ने असंभव सा दिखने वाला पुल बनाने का कार्य पूरा कर दिया।  


दयालु स्वाभाव के थे भगवान राम
लोगों को अपने जीवन में दयालु भी होना चाहिए। भगवान राम ने दयालु होने के कारण सभी को अपनी छत्रछाया में रखा। उन्होंने सभी को नेतृत्व करने को पूरा अवसर व अधिकार दिए।


मिलनसार होने कारण हुई सुग्रीव से दोस्ती
भगवान राम बहुत ही मिलनसार स्वभाव के थे। किसी भी मित्रता करने के लिए वे यह नहीं सोचते थे सामने वाला व्यक्ति उनसे छोटा है या बड़ा। चाहे उन्हें नदी पार करने वाला केवट हो या ऋष्यमूक पर्वत सुग्रीव से दोस्ती करने का उदाहरण हो। भगवान राम ने अपने मृदु स्वभाव से सभी को अपना बना लेते थे।


सभी को साथ लेकर चलना
भगवान राम सभी को साथ लेकर चलते थे। वे एक कुशल प्रबंधक भी थे। उन्हें संसाधनों का बेहतर तरीके से उपयोग करने वाला भी माना जाता था। इसके अलावा श्रीराम का लक्ष्य था सत्य और न्याय का शासन स्थापित करना, जिसे उन्होंने पूरा भी किया।

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