लठमार होली: नंदगांव में हुरियारों को घेर कर पिचकारी से किया सराबोर
बरसाने की गोपी मांगन फगुवा आई दर्शन दे नन्द के दुलारे दर्शन दे के पद को गाते बरसाना के हुरियारे नन्दमहल की तरफ जैसे ही पहुंचते हैं वहां कल पिटाई से व्याकुल नन्दगांव के हुरियारे बरसाने के हुरियारों को...
बरसाने की गोपी मांगन फगुवा आई दर्शन दे नन्द के दुलारे दर्शन दे के पद को गाते बरसाना के हुरियारे नन्दमहल की तरफ जैसे ही पहुंचते हैं वहां कल पिटाई से व्याकुल नन्दगांव के हुरियारे बरसाने के हुरियारों को चारों तरफ से घेर कर टेशू के फूलों से बने रंग से दै -दै पिचकारी से सराबोर कर देते हैं।
नन्दगांव में एक बार पुनः द्वापर युगीन लीला लठामार होली का साक्षी बना। यहां की लठामार होली में फर्क इतना था कि बरसाना के हुरियारे थे और नन्दगांव की हुरियारिनें। बरसाना के हुरियारों ने कल नन्दगांव के हुरियारों के द्वारा मचाये उत्पात का चुन-चुन कर बदला जो लेना था। शनिवार को बरसाना के नवयुवक हुरियारों ने रंगीली गली में हुरियारिनों से हंसी मजाक किया। हुरियारिनों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। हाथों में लाठी लेकर दे दनादन प्रहार करने लग गयीं। हुरियारे भी कम नहीं थे हाथों में थाम रखी ढालों को सिर पर रख उछलकूद करते हुए भाभी को और चेताते ताकि भाभी खिसियाकर और जोर से लट्ठ चलावें। दोनो ओर से यह सिलसिला करीब एक घंटे चला। अंत मे राधा रानी के जयकारे के साथ होली का समापन किया गया। ओर होरी खेलन के दौरान गलतियों की माफी मांगकर अपने अपने घर कूं चल दिए।
बरसाने की गोपीं फगुवा मांगन आईं
नन्दगांव। कान्हा के द्वारा होली खेलने के बाद बिना फगुवा के चले आने पर ब्रज की गोपियां फगुवा मांगने नन्दमहल पहुंचती हैं। जहां फगुवा के बदले फिर से लठामार होली खेलने की कह कन्हा ने नन्दगांव की रंगीली गली में होली का अनोखा खेल चला। शनिवार को बरसाना के हुरियारे रंगीली गली पर इकट्ठा होकर राधारानी की झंडी के पीछे चौपाई निकालकर फगुआ मांगने को होरी के पद गाते गुलाल उड़ाते नन्दगांव के यशोदा कुंड पहुचते हैं। जहां नन्दगांव के गोस्वमी समाज के बुजुर्ग बरसाना के हुरियारों का स्वागत भांग ठंडाई पिलाकर और गुलाल लगाकर करते हैं इसके बाद होरी के पद गाते हुरियारे नन्दमहल पहुंचते हैं। जहां समाज गायन के दौरान मन्दिर में रंग की होली खेली गई।
रंगीली गली में सोलह श्रंगारों से सजी धजी नंदगांव की हुरियारिनें बरसाना के हुरियारों की हंसी ठिठोली का जवाब तड़ातड़ लाठियां बरसाकर दे रहीं थी। हुरियारिनों के लाठियों के वारों को बरसाना के हुरियारे ढालों पर सहकर अपना बचाव कर रहे थे। लाठियों के वार जितने तेज हो रहे थे नंदगांव बरसाना के लोगों के प्रेम सम्बंधों में इतनी ही प्रगाढता बढ रही थी। वैश्विक मंच पर दोनों गांवों की साझा संस्कृति के हजारों लोग गवाह बन रहे थे। नंदगांव में भोर से ही गोप गोपियां तैयारियों में जुट गए थे।