केतु अगर जातक की कुंडली में दशा-महादशा में हो तो कर देते हैं बर्बाद, जानिए क्रूर ग्रह के दुष्प्रभाव से बचने के उपाय
ज्योतिष शास्त्र में केतु को क्रूर ग्रह माना गया है। कहते हैं कि इस ग्रह का अपना कोई अस्तित्व नहीं होता है, इसलिए यह जिस ग्रह के साथ बैठता है उसी के अनुसार प्रभाव देने लगता है। ज्योतिषाचार्यों के...
ज्योतिष शास्त्र में केतु को क्रूर ग्रह माना गया है। कहते हैं कि इस ग्रह का अपना कोई अस्तित्व नहीं होता है, इसलिए यह जिस ग्रह के साथ बैठता है उसी के अनुसार प्रभाव देने लगता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, केतु अगर जातक की कुंडली में महादशा में हो तो यह उस व्यक्ति को काफी परेशान करते हैं। व्यक्ति को अक्सर परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वहीं अगर केतु कुंडली ठीक स्थिति में हो तो जातक को लाभ पहुंचाता है।
केतु का स्वभाव क्रूर होने के कारण यह ग्रह तर्क, बुद्धि, ज्ञान, वैराग्य, कल्पना, अंतर्दृष्टि, मर्मज्ञता, विक्षोभ और अन्य मानसिक गुणों का कारक माना जाता है। कहते हैं कि केतु कुंडली अच्छी स्थिति में होने पर इन्हीं क्षेत्रों में लाभ पहुंचाता है और इसी अवस्था में हानि भी पहुंचाता है। केतु की अशुभ दशा से बचने के लिए करें ये उपाय-
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अशुभ केतु ग्रह के असर को कम करने के उपाय-
1. कहते हैं कि कम्बल, लोहे के बने हथियार, तिल, भूरे रंग की वस्तु केतु की दशा में दान करने से केतु का दुष्प्रभाव कम होता है।
2. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, गाय की बछिया और केतु से संबंधित रत्न का दान भी शुभ माना गया है।
3. केतु की दशा का फल संतान को भुगतान पड़ रहा है तो मंदिर में कंबल का दान करना चाहिए। कहते हैं कि ऐसा करने से केतु का दुष्प्रभाव कम होता है।
4. मान्यता है कि शनिवार और मंगलवार का व्रत रखने से केतु की दशा शांत होती हैं।
5. केतु का बीजमंत्र - ॐ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं सः केतवे नमः का मंत्रजाप कराएं।
(इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)