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Kullu Dussehra 2021 : हिमाचल प्रदेश का प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा 15 अक्तूबर से, सभी 300 देवी-देवता को दिया जाएगा बुलावा

Kullu Dussehra 2021 :  हिमाचल प्रदेश का प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा 15 अक्तूबर से शुरू होने जा रहा है।  सात दिन तक चलने वाले इस देव महाकुंभ में इस बार सभी 3०० देवी-देवता को बुलावा...

Kullu Dussehra 2021 : हिमाचल प्रदेश का प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा 15 अक्तूबर से, सभी 300 देवी-देवता को दिया जाएगा बुलावा
Yogesh Joshiएजेंसी,शिमलाWed, 08 Sep 2021 07:16 PM

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Kullu Dussehra 2021 :  हिमाचल प्रदेश का प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा 15 अक्तूबर से शुरू होने जा रहा है।  सात दिन तक चलने वाले इस देव महाकुंभ में इस बार सभी 3०० देवी-देवता को बुलावा दिया जाएगा। इस महोत्सव में भगवान रघुनाथ की भव्य रथयात्रा भी होगी और नरसिंह देव की जलेब भी निकलेगी। यह जानकारी उपायुक्त कुल्लू एवं दशहरा उत्सव समिति कुल्लू के उपाध्यक्ष आशुतोष गर्ग ने दी।

उन्होंने बताया कि बीते साल मात्र सात देवी-देवताओं को ही बुलाया था, जबकि एक दर्जन पहुंचे थे। दशहरे के लिए कुछ शर्तों के साथ सभी देवी-देवताओं को निमंत्रण दिया जाएगा। इसमें देवरथों के साथ मुख्य कारकून और बजंतरी ही शामिल होंगे।  बीते साल की तरह इस बार भी न तो लाल चंद प्राथीर् कलाकेंद्र में सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे और न व्यापारियों के लिए मेला बाजार सजेगा।

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उल्लेखनीय है कि गत वर्ष दशहरा उत्सव के दौरान कोरोना की पहली लहर चरम पर थी। ऐसे में दशहरा उत्सव कमेटी ने मात्र सात देवी-देवताओं को निमंत्रण दिया था। इसके बावजूद उत्सव में भगवान रघुनाथ, बिजली महादेव, देवी हिडिंबा सहित एक दर्जन से अधिक देवी-देवता शामिल हुए थे।

कोरोना काल में पिछले साल देवता शृंगा ऋषि, देवता खुडीजल और ब्यास ऋषि समेत आनी, बंजार और निरमंड घाटी के सौ से ज्यादा देवता शामिल नहीं हो पाए थे। इस दौरान उत्सव में देवी-देवताओं को न बुलाने पर दशहरे में आई देवी हिडिंबा के साथ देवता हलाण के धूमल नाग, सोयल की माता कोटली, डमचीण के वीरनाथ और फलाणी नारायण ने कड़ी नाराजगी जताई थी। इसके बाद भगवान रघुनाथ के दरबार में छोटी और नग्गर में बड़ी जगती का आयोजन किया गया था। देवी-देवताओं को न बुलाने पर कुल्लू का देव समाज भी दो धड़ों में बंट गया था। 

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ज्ञातव्य है कि कुल्लू दशहरा दुनिया भर में प्रसिद्ध है। दशहरे में कई देशों के शोधकर्चा भाग लेते हैं। व्यापार के लिहाज से भी उत्तर भारत का यह सबसे बड़ा मेला है। इसमें देशभर से करीब पांच हजार व्यापारी शामिल होते हैं।