कोटेश्वर महादेव: कामदेव को नष्ट कर मनकामेश्वर में प्रकट हुए थे शिव
नए यमुना ब्रिज के नीचे मिंटोपार्क के समीप मनकामेश्वर मंदिर बहुत ही प्राचीन है। मंदिर में स्थापित शिवलिंग का पूजन-अर्चन भगवान राम ने वनवास जाते समय किया था। ताकि 14 वर्षों का वनवास सकुशन संपन्न कर...
नए यमुना ब्रिज के नीचे मिंटोपार्क के समीप मनकामेश्वर मंदिर बहुत ही प्राचीन है। मंदिर में स्थापित शिवलिंग का पूजन-अर्चन भगवान राम ने वनवास जाते समय किया था।
ताकि 14 वर्षों का वनवास सकुशन संपन्न कर अयोध्या वापस लौटे सकें। यह भी मान्यता है कि भगवान शिव ने कामदेव को नष्ट कर यहीं पर प्रकट्य हुए थे। इसलिए इस मंदिर का नाम मनकामेश्वर पड़ा।
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मंदिर के प्रभारी स्वामी धरानंद ब्रह्मचारी ने बताया कि शिव मंदिर में प्रतिदिन पूजन-अर्चन के लिए हजारों श्रद्धालु आते हैं। सावन के महीनें में यह संख्या लाखों में हो जाती है। मंदिर मनकामेश्वर महादेव का पूजन-अर्चन व अभिषेक करने वाले भक्तों की मनोकामना अवश्य पूरी होती है। पद्म पुराण में इस मंदिर का उल्लेख कामेश्वर तीर्थ के नाम से किया गया है।
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शिवकुटी के समीप गंगा नदी के तट पर स्थापित कोटेश्वर महादेव की पूजा करने से श्रद्धालुओं को सभी पापों से छुटकारा मिल जाता है। इस शिवलिंग की पूजा करना सवा करोड़ शिवलिंग की पूजा करने समान पुण्य प्राप्त होता है। कोटेश्वर महादेव की स्थापना भगवान राम ने लंका से वापस आने के बाद भरद्वाज ऋषि के निर्देश पर ब्रह्म हत्या से मुक्ति के लिए किया था।
प्रमुख पुजारी सर्वेश गिरि ने बताया कि शास्त्रों में इसका वर्णन हैं। बताया कि लंका से आने के बाद भगवान राम ने महिर्ष भरद्वाज के कहने पर सवा करोड़ शिवलिंग बनाकर अभिषेक किया था। उसके बाद भरद्वाज ऋषि के कहने पर ही एक शिवलिंग तैयार किया उसका अभिषेक किया। भरद्वाज ऋषि ने कहा कि इस शिवलिंग का निर्माण सवा करोड शिवलिंग के निर्माण बाद हुआ है।