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करवा चौथ 2017: जानें क्यों मनाया जाता है करवा चौथ, क्या है इसके पीछे की कहानी

करवा चौथ के दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु की कामना कर व्रत रखती हैं। इस व्रत में शिव, पार्वती, कार्तिकेय, गणेश तथा चंद्रमा का पूजन किया जाता है।

Meenakshiलाइव हिन्दुस्तान ,नई दिल्लीSat, 07 Oct 2017 08:48 PM

जानें क्यों मनाया जाता है करवा चौथ

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करवा चौथ के दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु की कामना कर व्रत रखती हैं। इस व्रत में शिव, पार्वती, कार्तिकेय, गणेश तथा चंद्रमा का पूजन किया जाता है। 'करवा चौथ' की भी अपनी एक कहानी है, जिसे स्त्रियां कथा के रूप में व्रत के दिन सुनती है। कहा जाता है की करवा चौथ के दिन व्रत कथा का पढ़ा जाना काफी महत्व होता है। आइए जानते है करवा चौथ व्रत कथा:

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करवा चौथ व्रत कथा

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करवा चौथ व्रत कथा

एक साहूकार के सात लड़के और एक लड़की थी। सेठानी के सहित उसकी बहुओं और बेटी ने करवा चौथ का व्रत रखा था। रात्रि को साहकार के लड़के भोजन करने लगे तो उन्होंने अपनी बहन से भोजन के लिए कहा। इस पर बहन ने बताया कि उसका आज उसका व्रत है और वह खाना चंद्रमा को अर्घ्‍य देकर ही खा सकती है।

सबसे छोटे भाई को अपनी बहन की हालत देखी नहीं जाती और वह दूर पेड़ पर एक दीपक जलाकर चलनी की ओट में रख देता है। जो ऐसा प्रतीत होता है जैसे चतुर्थी का चांद हो। उसे देख कर करवा उसे अर्घ्‍य देकर खाना खाने बैठ जाती है। जैसे ही वह पहला टुकड़ा मुंह में डालती है उसे छींक आ जाती है। दूसरा टुकड़ा डालती है तो उसमें बाल निकल आता है और तीसरा टुकड़ा मुंह में डालती है तभी उसके पति की मृत्यु का समाचार उसे मिलता है। वह बेहद दुखी हो जाती है। 

उसकी भाभी सच्चाई बताती है कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ। व्रत गलत तरीके से टूटने के कारण देवता उससे नाराज हो गए हैं। इस पर करवा निश्चय करती है कि वह अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं करेगी और अपने सतीत्व से उन्हें पुनर्जीवन दिलाकर रहेगी। वह पूरे एक साल तक अपने पति के शव के पास बैठी रहती है। उसकी देखभाल करती है। उसके ऊपर उगने वाली सूईनुमा घास को वह एकत्रित करती जाती है। एक साल बाद फिर चौथ का दिन आता है, तो वह व्रत रखती है और शाम को सुहागिनों से अनुरोध करती है कि 'यम सूई ले लो, पिय सूई दे दो, मुझे भी अपनी जैसी सुहागिन बना दो' लेकिन हर कोई मना कर देती है। आखिर में एक सुहागिन उसकी बात मान लेती है। इस तरह से उसका व्रत पूरा होता है और उसके सुहाग को नये जीवन का आर्शिवाद मिलता है। इसी कथा को कुछ अलग तरह से सभी व्रत करने वाली महिलाएं पढ़ती और सुनती हैं। 

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