वर्तमान समय में घर में वाहन परिवार की जरुरत बन गया है। अनेक लोग ऐसे हैं जो वाहन के लिए जीवनभर प्रयासरत रहते हैं और ये सामान्य वाहन को भी प्राप्त नहीं कर पाते। ज्योतिष विज्ञान में वाहन के लिए कुंडली में विशेष योग का जिक्र है। ज्योतिषाचार्य विभोर इंदुसुत के अनुसार कुंडली में चतुर्थ भाव या चतुर्थेश ग्रह सम्पत्ति और वाहन सुख को नियंत्रित करते हैं। इनमें से एक ग्रह जो सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है वह है शुक्र। शुक्र ही हमारे जीवन में विलासिता और वैभवपूर्ण वस्तुताओं को प्रदान करता है। इसलिए कुंडली में चतुर्थ भाव और चतुर्थेश का अच्छी स्थिति में होना वाहन सुख का कारण बनता है। ज्योतिषीय दृष्टि से जानिए जीवन में वाहन सुख के योग कब बनते हैं।
-यदि चतुर्थेश चतुर्थ भाव में ही स्थिति हो या चतुर्थेश की चतुर्थ भाव पर दृष्टि हो तो व्यक्ति को अच्छा वाहन सुख मिलता है।
-चतुर्थेश स्व या उच्च राशि में होकर शुभ भावों में स्थिति हो तो अच्छे वाहन का कारण बनता है।
-चतुर्थेश का दशमेश, नवमेश, लाभेश, लग्नेश या पंचमेश के साथ राशि परिवर्तन भी व्यक्ति को अच्छा वाहन सुख देता है।
-कुंडली में शुक्र यदि स्व या उच्च राशि यानी वृष, तुला एवं मीन में होकर शुभ भाावों में हो तो बड़े एवं वैभवपूर्ण वाहन का सुख मिलता है।
-कुंडली में यदि माल्वय योग बना हो तो व्यक्ति को वैभव ढंग से वाहन का सुख मिलता है।
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-यदि शुक्र कुंडली के 12 वें भाव में हो और पाप ग्रहों के प्रभाव से मुक्त हो तो व्यक्ति अच्छे वाहन पाता है।
-जिन लोगों की कुंडली में चतुर्थेश छठे, आठवें, बारहवें भाव में हो, अपनी नीच राशि में हो, शत्रु ग्रहों से पीड़ित हो तो ऐसे लोगों को वाहन सुख में बाधएं आती हैं।
-चतुर्थ भाव का पीड़ित या कमजोर होना भी वाहन प्राप्ति में बाधक बनता है।
-जिन लोगों की कुंडली में शुक्र अपने नीच राशि कन्या में हो, छठें, आठवें भाव में हो, केतु मंगल से पीड़ित हो, अस्त हो, या अन्य किसी प्रकार से कमजोर हो तो ऐसे लोगों को बड़े और वैभवपूर्ण वाहनों का सुख नहीं मिल पाता।
(ये जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)