जानें क्या होता है मंगली दोष, कुंडली में किस जगह बैठा मंगल रखता है जीवनसाथी को बीमार
मंगली दोष असल में मंगल ग्रह के जन्मकुंडली के कुछ विशेष भावों -पहले, दूसरे, चौथे, सातवें, आठवें और बारहवें भाव में बैठने से बनता है। मंगल ने 10 नवंबर की दोपहर तुला राशि में प्रवेश किया है और 25 दिसंबर...
मंगली दोष असल में मंगल ग्रह के जन्मकुंडली के कुछ विशेष भावों -पहले, दूसरे, चौथे, सातवें, आठवें और बारहवें भाव में बैठने से बनता है। मंगल ने 10 नवंबर की दोपहर तुला राशि में प्रवेश किया है और 25 दिसंबर तक इसी राशि में रहेंगे। अब इन दिनों में जिन बच्चों का जन्म मेष, कर्क, कन्या, तुला, वृश्चिक और मीन लग्न में होगा, वे सभी बच्चे मंगली दोष के शिकार होंगे।
भगवान राम की कुंडली में सातवें भाव में बैठे उच्च के मंगल ने उन्हें रूचक महापुरुष राजयोग तो दिया, जिससे उन्हें सीता जैसी पत्नी मिलीं, परन्तु उन्हें वैवाहिक सुख कम मिला। विद्वान इनकी कुंडली में मंगल दोष नहीं मानते, पर सच्चाई इसके विपरीत है।
पहले भाव में मंगल के बैठने से बेवजह गुस्सा और किसी बात की जिद पकड़ लेने वाला स्वभाव होता है, तो दूसरे भाव में रहने से कटु वचन देता है। परिवार के दूसरे सदस्यों के प्रति खराब व्यवहार के साथ-साथ जीवनसाथी की आयु में भी कमी करता है।
चौथे भाव में मंगल हो तो गृहस्थ जीवन का सुख बहुत कम मिलता है। सातवें भाव में बैठा मंगल जीवनसाथी को बीमार रखता है, तीव्र कामवासना पैदा करता है और वैचारिक मतभेद बढ़ाता है। आठवें में बैठा मंगल बीमारी और व्यवहार में उग्रता देकर सुख समाप्त करता है।
बारहवें भाव में बैठा मंगल शैया सुख में भारी कमी करता है, जिससे मानसिक और शारीरिक कष्ट भोगना होता है। जन्मकुंडली के साथ चंद्र कुंडली से भी अगर मंगल इन भावों में है, तो भी मंगली दोष का असर देखने में जरूर आता है।
मंगल अपनी खुद की राशियों- वृश्चिक और मेष में हो और अपनी उच्च राशि मकर में हो, तो मंगली दोष नहीं माना जाता, पर अनुभव में ऐसा आया है कि इसका प्रभाव थोड़ा-बहुत जरूर रहता है। चंद्रमा और मंगल के साथ-साथ रहने या आमने-सामने रहने, सूर्य, राहु या शनि के साथ रहने से मंगल दोष कम हो जाता है।
देवगुरु वृहस्पति की मंगल पर दृष्टि भी मंगल दोष का असर समाप्त करती है। यही कारण है कि मंगली दोष से पीड़ित दूल्हे-दुल्हन का विवाह एक साथ कराकर मंगल दोष को सकारात्मक बनाने का विधान है। मंगल दोष में एक गुण भी है। ऐसे लोग साहसी, तर्कशक्ति संपन्न और विपरीत परिस्थितियों में डटे रहने वाले होते हैं।
जगदीश कांडपाल, कौसानी, उत्तराखंड