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यहीं भस्म हुए थे राजा सगर के पुत्र, मंदिर में हैं प्राचीन काल की मूर्तियां

पुराणों के अनुसार कपिल मुनि के श्रप के कारण ही राजा सगर के 60 हजार पुत्रों की इसी स्थान पर तत्काल मृत्यु हो गई थी। हर साल मकर संक्रान्ति के समय गंगा सागर स्नान के लिए देश भर से लाखों श्रद्धालु...

लाइव हिन्दुस्तान टीम नई दिल्लीTue, 16 Jan 2018 10:57 PM
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पुराणों के अनुसार कपिल मुनि के श्रप के कारण ही राजा सगर के 60 हजार पुत्रों की इसी स्थान पर तत्काल मृत्यु हो गई थी।

हर साल मकर संक्रान्ति के समय गंगा सागर स्नान के लिए देश भर से लाखों श्रद्धालु वहां पहुंचते हैं। तब गंगा सागर में विशाल मेला लगता है। यहीं गंगा सागर के तट पर कपिल मुनि का सुंदर मंदिर है। इस मंदिर का संबंध गंगाअवतरण की कथा से है।

गंगा सागर आने वाले लोग महर्षि कपिल मुनि के मंदिर में पूजा-अर्चना जरूर करते हैं। मंदिर के अंदर मां गंगा की मूर्ति है। इसके अलावा देवी लक्ष्मी और घोड़े को पकड़े राजा इंद्र और कपिल मुनि की मूर्तियां हैं। पुराणों के अनुसार, कपिल मुनि के श्रप के कारण ही राजा सगर के 60 हजार पुत्रों की इसी स्थान पर तत्काल मृत्यु हो गई थी। बाद में राजा सगर के वंशज भगीरथ अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए लंबी तपस्या के बाद गंगा को धरती पर लाने में सफल रहे।

गंगाअवतरण के बाद राजा सगर के 60 हजार पुत्रों को मुक्ति मिली। गंगा सागर में कपिल मुनि का पुराना मंदिर हुआ करता था, पर यहां स्थित उस मंदिर को सागर सन 1973 में बहा ले गया था। इसके बाद पुराने मंदिर की मूर्तियों को कोलकाता में स्थापित किया गया।

साल 2013 में यहां अखिल भारतीय पंच रामानंदीय निर्वाणी अखाड़ा की ओर से स्थायी मंदिर का निर्माण कार्य आरंभ कराया गया। इस साल के गंगा सागर मेला से पूर्व यह मंदिर भव्य रूप में तैयार हो चुका है। कपिल मुनि मंदिर में पूजा के बाद श्रद्धालु तिल, चावल और तेल आदि का दान देते हैं। लोककथाओं के अनुसार यहां कपिल मुनि मंदिर 437 ईस्वी से स्थापित था। पर अब पुराने मंदिर का कोई अवशेष नहीं है। 1683 में यहां पर मंदिर का जिक्र जेम्स नामक लेखक ने किया है।

कैसे पहुंचें : गंगा सागर पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले में है। कोलकाता से गंगा सागर तीर्थ की कुल दूरी 120 किलोमीटर है। यहां जाने के लिए रेल और बस का विकल्प मौजूद है। रेल से काकद्वीप तक जाया जा सकता है। काकद्वीप से मूरीगंगा नदी को स्टीमर से पार कर सागर द्वीप पहुंचा जा सकता है।

-अनादि अनत

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