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Hindi News AstrologyKnow the importance of Mangalwari Amavasya and why it is compared with Pushkar Yoga

मंगलवार को पड़ने वाली अमावस्या का क्या है विशेष महत्व, क्यों होती है पुष्कर योग से तुलना

Mangalwari Amavasya: सनातन धर्म में साल भर में 12 पूर्णिमा और 12 अमावस्या होती हैं। पूर्णिमा पूर्ण चंद्र के कारण सकारात्मक होती है, जबकि अमावस्या में सूर्य व चंद्र एक साथ होते हैं, जिससे नकारात्मकता...

मंगलवार को पड़ने वाली अमावस्या का क्या है विशेष महत्व, क्यों होती है पुष्कर योग से तुलना
मुकेश कुमार जुयाल, ,पालमपुर, हिमाचल प्रदेशTue, 26 Nov 2019 07:24 AM
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Mangalwari Amavasya: सनातन धर्म में साल भर में 12 पूर्णिमा और 12 अमावस्या होती हैं। पूर्णिमा पूर्ण चंद्र के कारण सकारात्मक होती है, जबकि अमावस्या में सूर्य व चंद्र एक साथ होते हैं, जिससे नकारात्मकता बढ़ने की आशंका रहती है।  मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की अमावस्या मंगलवार (26 नवंबर) को है। इसे भौमवती अमावस्या भी कहते हैं।

मंगलवारी अमावस्या को मुहूर्त चिंतामणिकार ने पुष्कर योग की उपमा दी है। इस दिन यज्ञ, मंत्रजाप व दान करना सूर्यग्रहण में किए गए दान के बराबर फलदायी होता है। हेमाद्रौ शातातप: के अनुसार, ‘अमावस्या भवेद् वारे यदा भूमिसुतस्य वै। जाह्नवीस्नान—मात्रेण गोसहस्र—फलं लभेत॥’ 

इस दिन किया गया जाप सहस्र गोदान के बराबर है। इस दिन गायों को गुड़ खिलाने से शुभ फल मिलता है। धन होने पर लाल वस्त्र, सोना आदि दान करना चाहिए। जिन युवतियों के विवाह में मंगली दोष के कारण बाधा आ रही है, जन्मकुंडली में विवाह संबंध टूटने और वैधव्य का योग है, उन्हें इन प्रभावों से मुक्ति के लिए भौमवती अमावस्या करना चाहिए। अमावस्या के दिन पूर्ण ब्रह्मचर्य व्रत का पालन अवश्य करना चाहिए।

अमावस्या इस बात का संकेत है कि हम अपने पितरों को हर हाल में इस दिन श्रद्धापूर्वक स्मरण करें और उन्हें भोग और तर्पण प्रस्तुत करें। ताकि वे प्रसन्न हों।
शास्त्रों में अमावस्या तिथि का स्वामी पितृदेव को बतलाया गया है। इस दिन सबसे पहले गणेश पूजा के बाद नारायण और शिव या अपने इष्टदेव की आराधना करनी चाहिए।

शनि की ढैया से जूझ रहे वृष और कन्या जन्मराशि वालों, शनि की साढ़ेसाती से जूझ रहे  वृश्चिक, धनु और मकर जन्मराशि वालों तथा पितृ दोष से संतान न होने की चिंता से ग्रस्त व्यक्तियों को अमावस्या को पूजापाठ, दान आदि अवश्य करना चाहिए। 

जन्मकुंडली में जिन्हें मंगल, शनि, राहु और केतु परेशान कर रहे हैं, उन्हें आज अपने खानपान में पूर्ण संयम रखना चाहिए। जिनकी कुंडली में मंगल अपनी नीच राशि कर्क में बैठा है, उन्हें भौमवती अमावस्या को विशेष आराधना करनी चाहिए। संभव हो, तो आंध्र प्रदेश की कृष्णा नदी के किनारे बने दूसरे ज्योतिर्लिंग मल्लिकार्जुन के दर्शन करें, जहां मंगल ग्रह के स्वामी देवसेनापति कार्तिकेय विराजमान हैं। 

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